चंपावत: पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का खामियाजा एक बार फिर एक दंपती को भुगतना पड़ा। अपने नवजात के इलाज के लिए दोनों एक अस्पताल से दूसरे में भटकते रहे। जिला अस्पताल में डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाने पर जैसे-तैसे नवजात को देखा भी गया तो न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) न होने के बात कहकर उसे रेफर कर दिया गया।लोहाघाट के रायकोट महर निवासी राजेश कुमार की पत्नी गीता देवी ने शनिवार सुबह छह बजे लोहाघाट उप जिला अस्पताल में शिशु को जन्म दिया। राजेश ने बताया कि शिशु का वजन एक किलोग्राम था जबकि सामान्य वजन 2.800 किलो से 3.200 किलो होता है। लोहाघाट से नवजात को जन्म के दो घंटे के बाद चंपावत जिला अस्पताल रेफर किया गया। गीता देवी ने बताया कि जिला अस्पताल में उन्हें कभी 40 नंबर कमरे तो कभी 41 नंबर में दिखाने को कहा। बाद में उन्हें शिशु को हायर सेंटर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाने को कहा गया लेकिन परिजन शिशु को हल्द्वानी के बजाय वापस अपने गांव रायकोट महर ले गए। राजेश ने बताया कि दूध नहीं पीने से शिशु को कमजोरी हो रही है।