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• Fri, 16 Jul 2021 5:30 pm IST


खरीफ की बेहतर फसल के लिए होती है डिकारे की पूजा


खरीफ की फसल की बेहतरी और अच्छे फल उत्पादन के लिए हरेले की पूर्व संध्या पर डिकारे की पूजा होती है। गौरी और माहेश्वरी के रूप में इनकी पूजा होती है। मिट्टी को गूंथकर इन्हें बनाया जाता है। इनकी पूजा भी बरसात के दिनों में होने वाले फलों से होती है। शंकर भगवान की पूजा के बाद दूसरे दिन हरेला काटा जाता है और इस हरेले को सिर पर धारण करने के साथ ही अराध्य देव को भी अर्पित किया जाता है। इसके अलावा घरों के चौखट के ऊपर भी इस हरेले को गाय के गोवर से चिपकाया जाता है। हालांकि नई पीढ़ी डेकारों को लेकर अनभिज्ञ है। गांव में आज भी इसे पर्व के रूप में मनाया जाता है।