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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 25 Apr 2022 8:00 pm IST


उत्तरकाशी के कंडार देवता की अदालत में होते हैं 'ऑन द स्पॉट फैसले', यहां न डॉक्टर है न कोतवाल


उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता. यहां सदियों से चली आ रही मान्यताएं आज भी जिंदा हैं. इसका एक उदाहरण वरुणावत पर्वत के शीर्ष पर बसे संग्राली गांव में देखने को मिलता है. यहां कंडार देवता का आदेश ही सर्वमान्य होता है. कंडार देवता को ग्रामीण न्यायाधीश के तौर पर पूजते हैं. मान्यता है कि कंडार देवता ग्रामीणों व बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की हर समस्या का समाधान करते है. यहां पंडित की पोथी, दवा और कोतवाल का डंडा भी काम नहीं आता है. कंडार देवता का आदेश ही सर्वमान्य है।वरुणावत पर्वत के शीर्ष पर बसे संग्राली गांव में एक दिवसीय भंडाणी मेले का आयोजन किया गया. इसमें ग्रामीणों ने पारंपरिक लोक नृत्य कर अपने आराध्य कंडार देवता से सुख, समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की. सुबह से ही कंडार देवता मंदिर परिसर में धार्मिक अनुष्ठान के साथ भंडाणी मेले का शुभारंभ किया गया. इसमें संग्राली सहित पाटा, बग्याल गांव, गंगोरी, लक्षेश्वर, साल्ड, ज्ञाणजा आदि गांवों से ग्रामीण शामिल हुए।