दीपावली पर्व को लेकर नगर पूरी तरह सज-धज गया है। प्रदोष काल में लक्ष्मी की पूजा होती है। लक्ष्मी पूजन में शंख ध्वनि नहीं की जाती है। कमल दलों से पूजा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है। लक्ष्मी को योग शक्ति माना गया है। लक्ष्मी शक्ति संसार को जोड़ती है और सीता की पूजा लक्ष्मी के रूप में होती है। पंडितों के अनुसार अमावस्या तिथि चार नवंबर 2021 सुबह छह बजकर तीन मिनट से पांच नवंबर की तड़के दो बजकर 44 मिनट तक रहेग। बात अगर लक्ष्मी पूजन की करें तो लक्ष्मी पूजा करने का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल शाम छह बजकर नौ मिनट से रात्रि आठ बजकर 04 मिनट तक रहेगा। यानी इस मुहूर्त की कुल अवधि 01 घण्टा 56 मिनट की है हालांकि इसके बाद भी लोग पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
पूजा सामग्री: लकड़ी की चौकी, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र, चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा, कुमकुम, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ, पान और सुपारी, अगरबत्ती, दीपक के लिए घी, पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक, कपास की बत्ती, पंचामृत, गंगाजल, कलश, पुष्प, फल, आम के पत्ते, जल, कपूर, कलाव, साबुत गेहूं के दाने, दूर्वा घास, धूप, जनेऊ, दक्षिणा (नोट और सिक्के), एक छोटी झाड़ू, आरती थाली।
लक्ष्मी पूजन सरल विधि:
-दिवाली वाले दिन भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, देवी सरस्वती की पूजा होती है।
-दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजा से पहले घर को अच्छे से सजा लें।
-घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
-तोरण द्वार में सजाएं और दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
-शाम के समय शुभ मुहुर्त में दिवाली पूजन की तैयारी करें।
-पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछा लें।
-चौकी पर गंगाजल का छिड़काव करें और उस पर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, माता सरस्वती और कुबेर देवता की मूर्ति स्थापित करें।
-चौकी के पास जल से भरा कलश भी रख दें।
-फिर शुभ मुहूर्त में पूजा विधि विधान लक्ष्मी पूजन करें।
-भगवान को फल और मिठाई अर्पित करें।
-धूप दीप जलाकर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती उतारें।
-घर के सभी हिस्सों में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
-एक बड़ा सरसों के तेल का दीपक और एक घी का दीपक पूजा स्थान पर जलाएं।