थराली में अधिकतम तापमान 32 डिग्री तक पहुंच गया है। गर्मी से जलस्रोतों में पानी कम हो गया है और ग्वालदम समेत कई गांवों में पेयजल की किल्लत हो गई है। थराली में भी लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। तहसील मुख्यालय राड़ीबगड़ में हैंडपंप खराब होने से लोगों को पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं है। तुंगेश्वर क्षेत्र में भी लोगों को एक बाल्टी भरने में आधा घंटा तक लग रहा है। रविवार को आसमान में बादल छाए रहे और धूलभरी आंधी चली।ग्लोबल वार्मिंग का असर इस बार साफ नजर आ रहा है जहां अप्रैल मध्य से ग्लेशियरों का पिघलना शुरू होता था इस बार मार्च के पहले सप्ताह से ही पिडंर नदी में ग्लेशियर पिघलने से नदी का जल स्तर बढने लगा है। हर दिन पानी का रंग मटमैला होता जा रहा है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पिंडारी ग्लेशियर के आस-पास की बर्फ समय से पहले ही पिघलने लगी है जिससे बर्फ के साथ मिटटी के पहाड़ भी गिर रहे हैं। वहीं, त्रिशूल और नंदा घुंघुटी में भी मार्च में ही बहुत कम बर्फ रह गई है जबकि गत वर्ष अप्रैल तक यहां पर बर्फबारी हो रही थी।