पौड़ी-उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को बचाना है तो गढ़वाल-कुंमाऊं की बात न कर उत्तराखंड की बात करना जरूरी है। जरूरी है कि दोनों मंडलों के रंगकर्मी, संस्कृतिकर्मी एक साथ एक मंच पर आएं और उत्तराखंड की संस्कृति को देश-दुनिया तक फैलाएं। इसी सोच के साथ प्रख्यात कलाकार रामरतन काला ने बीती रात पदमपुर स्थित आवास में अंतिम सांस ली। उनका निधन हृदय गति रूकने से हुआ। विभिन्न संगठनों ने उनके निधन पर गहरा दु:ख जताया है।