भगवान शंकर को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि उनका स्वभाव बहुत ही भोला है लेकिन जब शिव को क्रोध आता है तो सृष्टि भी कांप उठती है। पौराणिक काल में शिव जी के क्रोध से भगवान काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का दिन कालभैरव को समर्पित है। इसे कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि जो इस दिन सच्चे मन से जो शिव के रौद्र रूप काल भैरव की उपासना करता है बाबा भैरव उसके तमाम कष्ट, परेशानियां हर लेते हैं और हर पल उसकी सुरक्षा करते हैं। शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भगवान भैरव की पूजा अचूक मानी जाती है। आइए जानते हैं कब है चैत्र माह की कालाष्टमी, पूजा का मुहूर्त और उपाय।
चैत्र कालाष्टमी
चैत्र माह की कालाष्टमी 14 मार्च, मंगलवार को है। तंत्र साधना के लिए काला भैरव की पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है। कालाष्टमी के दिन तामसिक पूजा पूरी रात चलती है। हालांकि गृहस्थ जीवन वालों को बाबा काल भैरव की उपासना सामान्य रूप से ही करनी चाहिए।
चैत्र कालाष्टमी शुभ मुहूर्त
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 मार्च को रात 08 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी। अष्टमी तिथि का समापन 15 मार्च को शाम 06 बजकर 45 मिनट पर होगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार जिस दिन अष्टमी तिथि रात्रि के दौरान प्रबल होती है उस दिन कालाष्टमी का व्रत किया जाना चाहिए।
ऐसे करें कालाष्टमी पर पूजा
अगर जीवन में भयंकर परेशानी से जूझ रहे हैं, कोई उपाय समझ न आ रहा हो तो इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। मान्यता है इससे तमाम कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं कालाष्टमी के दिन रात्रि के समय भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं, अगर मंदिर जाना संभव नहीं है तो शिवलिंग के समक्ष ये उपाय करें, फिर कालभैरवाष्टक का पाठ करें। इससे शत्रु और शनि बाधा दूर होती है। ध्यान रहे काल भैरव की पूजा किसी का अहित करने के लिए न करें, वरना इसके बुरे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। साथ ही इस दिन इस दिन किसी भी कुत्ते, गाय आदि जानवर के साथ गलत व्यवहार और हिंसक व्यवहार न करें।