देश की खुदरा महंगाई दर जून महीने में भी 7 फीसदी से ऊपर बनी रह सकती है। हालांकि बावजूद इसके यह लगातार छठें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 2-6 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर ही रहेगी। दिसंबर, 2021 में यह 5.56 फीसदी और जनवरी, 2022 में 6.01 फीसदी पर थी।
महंगाई दर में इजाफा इसलिए हो रहा है क्योंकि ईंधन, तेल और अन्य कमोडिटी की कीमतें लगातार ऊपर बनी हुई हैं। रायटर के एक सर्वे के अनुसार, खाद्य कीमतों में हाल में हुई तेज बढ़त के बावजूद महंगाई दर को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। क्योंकि सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर करों में कटौती की है। साथ ही कुछ खाद्यान्नों के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगा दिया है। इसमें चावल, गेहूं और हाल में कई तरह के आटे पर भी रोक लगाई गई है। सब्जियों की कीमतों ने बढ़ाई चिंताज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने कहा कि गर्मी की वजह से हाल में सब्जियों की कीमतें काफी ऊपर चली गई थीं, जिससे चिंता बढ़ गई थी। इसी के साथ सरकार ने भी गेहूं के उत्पादन के अनुमान को घटा दिया है क्योंकि उत्तरी भारत में सूखे की स्थिति है। चार से आठ जुलाई के बीच किए गए सर्वे में कुल 42 अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया। इन्होंने कहा कि जून में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) 7.03 फीसदी रह सकता है जो मई में 7.04 फीसदी था। इसी हफ्ते जारी होगा आंकड़ाखुदरा महंगाई का आंकड़ा इसी हफ्ते सरकार जारी करेगी। सर्वे में अनुमान है कि 7 फीसदी से ऊपर महंगाई दर रह सकती है। अगर ऐसा होता है तो फिर लगातार यह तीसरा महीना होगा, जब खुदरा महंगाई की दर 7 फीसदी से ऊपर बनी रहेगी। बार्कलेज के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, हालांकि कई सारी सेवाओं और वस्तुओं में ज्यादा महंगाई दिखेगी, पर सरकार द्वारा उठाए गए कदम से घरेलू कीमतों पर कुछ असर दिखेगा। आरबीआई ने बढ़ाई थी 0.90 फीसदी दरआरबीआई ने महंगाई को काबू में करने के लिए मई और जून में रेपो दर को 0.90 फीसदी बढ़ा दिया था। इससे बैंकों ने सभी तरह के कर्ज महंगे कर दिए हैं। साथ ही आगे भी दरों के बढ़ाने की आशंका बनी हुई है। हालांकि कई सारे अर्थशास्त्रियों का मानना है कि दिसंबर तक खुदरा महंगाई की दर छह फीसदी के ऊपर ही रहेगी। ऐसे में आरबीआई को इसे अपने लक्ष्य तक लाने के लिए दरों को बढ़ाना जारी रखना पड़ेगा।