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Rajesh Sharma
• Thu, 19 Aug 2021 3:04 pm IST


शहरी विकास सचिव को देनी होगी 5000 रुपए की क्षतिपूर्ति


हरिद्वार। उत्तराखंड सूचना आयोग ने शहरी विकास सचिव के खिलाफ ₹5000 क्षतिपूर्ति अदा करने का 4 साल पुराना आदेश बरकरार रखा है। राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाई ने 4 अगस्त को जारी अंतरिम आदेश में लोक प्राधिकारी, सचिव शहरी विकास के विरुद्ध 4 दिसंबर 2017 को पारित 5000 रुपए की क्षतिपूर्ति देने का आदेश बरकरार रखा है और एक माह के अंदर क्षतिपूर्ति देने का निर्देश, आदेश दिया है।
रतनमणी डोभाल बनाम लोक प्राधिकारी, सचिव शहरी विकास उत्तराखंड शासन के विरुद्ध शिकायत धारा 18 (1) ,(एफ) के अंतर्गत 15 अक्टूबर 2020 को दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई 4 अगस्त को हुई। लोक प्राधिकारी, शैलेश बगोली सचिव शहरी विकास विभाग उत्तराखण्ड शासन ने दिसंबर 2017 में पारित क्षतिपूर्ति देने के आदेश के खिलाफ सूचना आयोग में लिखित आख्या प्रस्तुत की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि शहरी विकास विभाग में इस प्रकार की क्षतिपूर्ति के भुगतान का कोई मद नहीं है इसलिए अपीलकर्ता को क्षतिपूर्ति का भुगतान नगरपालिका परिषद मंगलौर के बजट से किया जा सकता है। उन्होंने क्षतिपूर्ति संबंधी आदेश का पुनरीक्षण करने का अनुरोध भी आयोग में किया था। राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाई ने अपने आदेश में कहा है कि लोक प्राधिकारी की आख्या सूचना अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत विधिसम्मत नहीं है। आयोग ने इस संबंध में पटना हाईकोर्ट के एक आदेश का भी उल्लेख किया है कि सूचना आयोग को पुनरीक्षण का अधिकार नहीं है।
यह प्रकरण नगर निकायों में एल ई डी लाइटों की खरीद में पत्रकार रतनमणी डोभाल ने विभिन्न नगर निकायों में घोटाला किए जाने तथा जांच कराने का मांग तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत, शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह पंवार, शहरी विकास सचिव आदि से की थी। आरोप था कि सेम एल ई डी लाइट एक निकाय 5000 रुपए में खरीद रही है तो दूसरी निकाय 21 हजार, 19 हजार रुपए में खरीद रही है। इस शिकायत पर तत्कालीन शहरी विकास मंत्री ने जांच का आदेश दिया था और मुख्यमंत्री ने फाइनेंस कमेटी से जांच कराने का आदेश दिया था।