सरकार ने जिस रेंजर्स ग्राउंड में खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के दावे किए थे, वह अब ‘बाजार बनकर रह गया है। यहां हर हफ्ते संडे मार्केट लग रही है। यह मैदान जिला प्रशासन के अधीन आने के बाद खेल गतिविधियां शून्य हो गई हैं। इसकी वजह है कि पहले खेल गतिविधियों के लिए दो से ढाई हजार रुपये प्रतिदिन चुकाकर यह मैदान मिल जाता था। अब इसका किराया 50 हजार रुपये प्रतिदिन तय कर दिया गया है। इससे खेल गतिविधियां ठप हैं। कोरोना काल से पहले तक यह मैदान एफआरआई के अधीन था। तब यहां लगातार खेल गतिविधियां होती थीं। क्रिकेट में उत्तराखंड की पहचान बने गोल्ड कप के मैच यहां हर साल होते थे। शहर के बीच इस मैदान पर महेंद्र सिंह धौनी और ऋषभ पंत समेत कई भारतीय क्रिकेटर हाथ आजमा चुके हैं। लेकिन, अब यह मैदान बदहाल स्थिति में है। कारण, जब यह मैदान जिला प्रशासन के पास आया तो किराया 50 हजार रुपये प्रतिदिन कर दिया गया। खेल संघ इतनी रकम नहीं चुका पा रहे हैं। इस मैदान में कभी बाजार लग रहा है तो कभी ट्रेड फेयर। प्रशासन परेड ग्राउंड में बड़े आयोजन होने पर पार्किंग के रूप में शहर के बीच इस मैदान को इस्तेमाल में ला रहा है। रायपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का किराया भी इतना नहीं है।