देहरादून: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने चारधाम यात्रा रूट पर लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर (LMMC) की डिटेल्ड स्ट्डी में 55 क्रोनिक लैंडसाइड जोन चिन्हित किये हैं. इन सभी पर नभनेत्र वाहन के जरिए प्लान तैयार किया जाएगा, जिसके जरिये मानसून सीजन में इनके खतरे को देखते हुए ट्रैफिक मैनेज किया जाएगा.
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा रूट पर ऋषिकेश से लेकर चारों धामों तक के मार्ग पर पड़ने वाले सभी तकरीबन 55 ऐसे क्रॉनिक लैंडस्लाइड जॉन पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्टडी कर रहा है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन इन सभी लैंडस्लाइड पर साइंटिफिक स्टडी के जरिए डाटाबेस तैयार कर रहा है. साथ ही आपदा प्रबंधन का नवनेत्र वाहन के जरिए इन सभी लैंडस्लाइड की मैपिंग की जा रही है. इस पूरी स्टडी से एक इस तरह का डेटाबेस तैयार किया जाएगा. इससे बारिश की तीव्रता का लैंडस्लाइड पर पड़ने वाले असर की गणना की जाएगी. इस तरह से चिन्हित लैंडस्लाइड वाले क्षेत्र में हो रही बरसात के जरिए लैंडस्लाइड के जोखिम का पूर्वानुमान लगाया जाएगा.
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया गैस डिटेल स्टडी उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के ही लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर द्वारा तमाम अलग-अलग तकनीकी संस्थानों की मदद से तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया उत्तराखंड आपदा प्रबंधन लगातार इस तरह के साइंटिफिक स्टडी चार धाम यात्रा रोड पर कर रहा है.
वहीं, अपर सचिव आनंद स्वरूप ने बताया उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के पास मौजूद नभनेत्र वाहन के जरिए इन सभी लैंडस्लाइड जोन का मैप किया जाएगा. इसके अलावा उनकी सॉइल टेस्टिंग और अन्य टेक्निकल इंस्पेक्शन किए जाएंगे. उन्होंने कहा बरसात की तीव्रता के आंकड़ों के साथ इन क्रॉनिक लैंडस्लाइड जोन के डेटा को सिंक्रोनाइज किया जाएगा. मानसून समय में उसे क्षेत्र में हो रही बरसात को देखते हुए इन लैंडस्लाइड के जोखिम का आंकलन किया जाएगा. उसी के आधार पर वहां पर मौजूद ट्रैफिक को या तो रोका जाएगा या फिर आगे भेजा जाएगा.