देवभूमि उत्तराखंड में चंद वंश के राजाओं की राजधानी रही अल्मोड़ा की ऊंची चोटियों में चारों ओर से माता के मंदिर स्थापित हैं. ऐसा ही एक ऐतिहासिक मंदिर जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर धौलछीना कस्बे के पास विमलकोट शक्ति पीठ है, जो शंकु आकार वाली पहाड़ी के मध्य बसा है. न्याय की देवी के रूप में जानी जाने वाली माता पर भक्तों की अटूट आस्था है.इस शक्तिपीठ को 1515 ईसवीं पूर्व का बताया जाता है. मंदिर के सामने वाली पहाड़ी पटियार कोट पर चंद्रवंशी राजाओं के किले के खंडहर हैं, जो इस बात के गवाह हैं. पटियार नाम के शासकों की जन अदालत से नाखुश लोग इस शक्तिपीठ पर न्याय के लिए दरख्वास्त लगाते थे. तब से इस पहाड़ी का नाम विमल कोट पड़ गया. मंदिर के सामने की पहाड़ी पटिहार कोट में अभी भी खंडहर के अवशेष मौजूद हैं. तब से इस मंदिर में लोग न्याय के लिए मन्नतें मांगते हैं.
कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में सच्चे मन से न्याय की गुहार लगाता है, माता उसकी पुकार सुनकर न्याय करती हैं. इस मंदिर में साल के पहले दिन मंदिर समिति की ओर से मेले का आयोजन किया जाता है. इस मंदिर में दूर दूर से लोग अपनी मन्नत लेकर पहुंचते हैं. मान्यता है की माता सभी की मनोकामना पूरी करती हैं. माता विमलकोट शक्तिपीठ मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. यह से हिमालय की लंबी श्रृंखला भी दिखाई देती है. मंदिर बांज, बुरांस, देवदार, काफल, सूरई आदि के सदाबहार प्रजातियों के जंगलों से घिरा है. यह सब कुछ यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है.