चिलचिलाती धूप और उस पर सूखते जलस्रोत। ऐसे में गला तर करने को गजराज इधर से उधर तो भटकेंगे ही। आखिर प्रश्न जीवन से जुड़ा है, फिर इसके लिए चाहे कोई भी खतरा क्यों न मोल लेना पड़े।
उत्तराखंड के जंगलों में भी यमुना से लेकर शारदा नदी तक लगभग साढ़े छह हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हाथियों के बसेरे के आसपास की स्थिति भी इन दिनों ऐसी ही है।
फिर चाहे वह कोटद्वार क्षेत्र हो अथवा राजाजी या कार्बेट टाइगर रिजर्व से लगे क्षेत्र, वहां गजराज अक्सर भटकते देखे जा रहे हैं और इसका एक ही कारण है पानी की तलाश। ऐसे में जगह-जगह मानव से उनका टकराव भी हो रहा है।