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• Thu, 4 Mar 2021 5:27 pm IST


11 असफलता के बाद मजबूरी में शुरू की मजदूरी, फिर मिली बड़ी सफलता


व्यक्ति में सफलता पाने का जुनून हो तो मुसीबत खुद राह से हट जाती है। सीकर जिले के बीदासर गांव निवासी कैलाश सैन पर यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है। बचपन से सैन को शिक्षक की नौकरी पसंद थी। कभी तृतीय श्रेणी तो कभी द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में वह एक से तीन अंकों से चूकते रहे।


आर्थिक तंगी उनको मजदूरी तक भी ले गई। कुछ दिनों तक उन्होंने राजस्थान की कई कंपनियों में काम किया। यहां काम के मुताबिक वेतन नहीं मिलने पर उन्होंने खाड़ी देशों की तरफ रुख किया। विदेश में चार साल मजदूरी की लेकिन मन में शिक्षक बनने का सपना अभी टूटा नहीं था। वह दिन में सऊदी की अलग-अलग कंपनियों में काम कर परिवार के लिए रोजी-रोटी जुटाते तो रात को कमरे पर आकर 4 से 6 घंटे नियमित शिक्षक भर्ती की तैयारी करते। वर्ष 2018 की रीट भर्ती भी उन्होंने पास कर ली लेकिन कुछ अंकों से चूक गए।


शिक्षक भर्ती में सैन को लगातार 11 बार असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इसके बाद वह फिर से द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती की तैयारी में जुट गए। इस साल उनका द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में चयन हो गया। वह फिलहाल लक्ष्मणगढ़ इलाके के पूननी गांव के राजकीय स्कूल में वरिष्ठ अध्यापक संस्कृत के पद पर कार्यरत है।


शिक्षकों ने ही बढ़ाया हौसला

उन्होंने बताया कि कई बार आत्मविश्वास डिगा लेकिन शिक्षकों ने हमेशा हौसला बढ़ाया। विदेश में नौकरी के दौरान भी किसी टॉपिक में कोई दिक्कत आने पर शिक्षकों की ओर से निशुल्क मागदर्शन मिला। कैलाश ने 20 साल पहले स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 13 साल पहले शिक्षा शास्त्री की उपाधि हासिल की थी।



पांच बार थर्ड ग्रेड, चार बार सैकंड और दो बार फस्र्ट ग्रेड में विफल
कई युवा एक बार की असफलता से विचलित हो जाते हैं। उन युवाओं के लिए कैलाश सैन का संघर्ष एक प्रेरणा है। सैन पांच बार थर्ड ग्रेड, चार बार वरिष्ठ अध्यापक शिक्षक भर्ती और दो बार प्रथम श्रेणी व्याख्याता भर्ती में असफल हो चुके है।