पलायन की त्रासदी झेल रहे कर्णप्रयाग के गांवों में बंद मकान अपनों के आने का इंतजार कर रहे हैं। अधिकांश युवा रोजगार की तलाश में देहरादून व दिल्ली को पलायन कर चुके हैं। हालत यह है कि कई गांवों में सिर्फ बुजुर्ग हैं। राज्य निर्माण के बाद क्षेत्र के विकास गति नहीं पकड़ पाया। आज भी सड़कों की हालत बदतर है, अस्पतालों में डॉक्टर और शिक्षण व तकनीकी संस्थानों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है।
उत्तर प्रदेश के दौर में विधानसभाओं के परिसीमन के समय गढ़वाल जिले में बदरीनाथ और केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र थे। 1960 में चमोली जिले के गठन के बाद 1972 में बदरी-केदार और कर्णप्रयाग विधानसभा सीट का गठन हुआ।