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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 9 Sep 2024 3:42 pm IST


वरुणावत का खतरनाक इलाका, क्या यह मनुष्य का दोष है?


वरुणावत पर्वत पर जहां भूस्खलन हुआ है वह संवेदनशील क्षेत्र है। जो कि अब दोबारा सक्रिय हो गया है। इसके ट्रीटमेंट में देरी नहीं की जानी चाहिए। ट्रीटमेंट में देरी खतरे को बढ़ा सकती है। इस पर्वत पर भूस्खलन की एक बड़ी वजह मानवीय हस्तक्षेप है। पहाड़ की तलहटी को खोदने के साथ लोग अब ऊपर की तरफ बढ़ते जा रहे थे, इससे पहाड़ पर बोझ बढ़ा है। इसी वजह से भूस्खलन हुआ है।

यह कहना है कि वर्ष 2003 में वरुणावत पर्वत पर हुए भूस्खलन के बाद उसके ट्रीटमेंट कार्य की अगुवाई करने वाले भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के तत्कालीन निदेशक डॉ. पीसी नवानी का। डॉ. नवानी ने 21 साल बाद वरुणावत पर दोबारा भूस्खलन होने पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि इस पहाड़ पर जो भी दिक्कतें आई हैं उसकी एक बड़ी वजह मानवीय हस्तक्षेप हैं।

पहाड़ की तलहटी में तो लोगों ने घरों का निर्माण किया ही है, अब लोग ऊपर की तरह बढ़ते जा रहे हैं। उनके सीवर और घरों के पानी की निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। यह पानी पहाड़ की तलहटी में ही जाता है। इससे पहाड़ पर बोझ बढ़ने के चलते बरसात में नया भूस्खलन जोन खुला है।