देहरादून : आपदा के लिहाज से संवेदनशील उत्तराखंड में भूस्खलन सबसे बड़ी चुनौती है। गढ़वाल मंडल के 106 से अधिक गांवों में भी लगभग 2,500 परिवार भूस्खलन की जद में हैं। वर्षाकाल में पहाड़ दरकने और नदी-नालों में उफान आने से यह समस्या गहरा जाती है।उत्तरकाशी में भूस्खलन का इतिहास डरावना है। फिलहाल, 57 गांवों में निवासरत 800 से अधिक परिवारों को विस्थापन की जरूरत है।उधऱ रुद्रप्रयाग में 18 गांवों पर मंडरा रहा खतरा जखोली, ऊखीमठ और रुद्रप्रयाग तहसील के 18 गांव भूस्खलन की जद में हैं। खौफ में जी रहे 455 परिवार प्रभावित टिहरी के 16 गांवों में भी 455 परिवार भूस्खलन के खौफ में जी रहे हैं। दांव पर पांच परिवारों की जान पौड़ी के दुगड्डा में पुलिंडा गांव भी भूस्खलन की मार झेल रहा है।खौफ में जी रहे 12 गांवों के लोग चमोली जिले में जोशीमठ शहर और 12 गांव भूस्खलन की जद में है।दो गांवों में 1800 लोग प्रभावित देहरादून भी भूस्खलन से अछूता नहीं। यहां कालसी के खमरौली गांव में 50 और लेल्टा गांव में 65 परिवार इस समस्या से जूझ रहे हैं।