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• Sun, 27 Jun 2021 1:29 am IST


बच्चों को गढ़वाली सिखानी है? लीजिए आ गई गढ़वाली नर्सरी Rhymes


अपनी बोली अपनी बाणी में जो मिठास होती है वो मिठास दुनिया की किसी मिठाई में नहीं मिल सकती...और पहाड़ों का पानी जितना मीठा है उतनी ही मीठी है यहां की बोली..चाहे गढ़वाली हो, कुमांउनी हो या जौनसारी..अपनी भाषा कानों में मिसरी घोल देती है। अब आप सोचेंगे की आखिर आज भाषा पर बात हो रही है तो कुछ खास जरूर होगा..जी हां खास है..बेहद खास..इस बात से शायद कई लोग इत्तेफाक रखते होंगे कि बाकी राज्यों की तुलना में उत्तराखंड के लोग अपनी भाषा का इस्तेमाल कम करते हैं..मसलन चार बंगाली आपस में बंगाली में बात करेंगे...महाराष्ट्रियन मराठी में तमिलियन तमिल में और ऐसे ही कई और उदाहरण हैं..खैर हमारा मकसद यहां सिर्फ इतना बताना है कि हमें अपनी भाषा को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना है..नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति अपनी ज़ुबान से रूबरू कराना है।