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DevBhoomi Insider Desk
• Sun, 19 Jun 2022 8:00 am IST

नेशनल

तो क्या गृह मंत्रालय के निर्देश जारी कर देने से बंद हो जाएंगे अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ अपराध...?


अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को लेकर गृह मंत्रालय ने चिंता व्यक्त की है। गृह मंत्रालय के महिला सुरक्षा विभाग की ओर से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखा गया है। 

सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे गए इस पत्र में पिछले महीने हुई 26वीं समीक्षा बैठक के सुझावों का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने राज्यों के प्रमुख सचिवों को सलाह दी है कि, नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए। 

दरअसल, नागरिक अधिकार संरक्षण और अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम की स्थिति के लिए नई दिल्ली में 9 जून को गृह मंत्रालय की समीक्षा बैठक हुई थी। इस बैठक में अपराधों को रोकने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया था। जिसमें गृह मंत्रालय की तरफ से जारी एडवाइजरी में कहा गया था कि, केंद्र सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान अपराधों की रोकथाम पर है। इसलिए सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी जाती है कि वे समय-समय पर आपराधिक न्याय पर विशेष ध्यान दें। खासकर अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ होने वाले अपराधों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। 

अपराधों का पता लगाने और जांच में प्रशासन और पुलिस की सक्रिय भूमिका होनी चाहिए। ऐसे मामलों में अंडर रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए। कमजोर वर्ग के अधिकारों को कमतर नहीं आंकना चाहिए। पुलिस और प्रशासन को संवेदनशील बनने की जरुरत है। पुलिस कर्मियों के लिए ऐसे विषयों पर कार्यक्रम, बैठकें और सेमिनार करने चाहिए। और इस तरह के कार्यक्रमों को विभिन्न पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों और अकादमियों के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। पुलिस को इस मामले में विशेष ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए।