देवस्थानम बोर्ड के विरोध में इस वर्ष यात्राकाल में करीब एक माह तक तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों ने आंदोलन किया। स्थिति यह रही कि तीर्थ पुरोहित बदरीनाथ धाम के साथ ही अन्य मठ-मंदिरों में पूजा-पाठ छोड़कर सड़क पर आंदोलन करते दिखे। बोर्ड के विरोध में कई बार तीर्थ पुरोहितों नें सरकार के खिलाफ बदरीनाथ में प्रदर्शन भी किया।
इस वर्ष बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को खुले थे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीमित संख्या में ही तीर्थ पुरोहितों को बदरीनाथ धाम जाने की अनुमति दी गई। जुलाई माह में धाम में तीर्थ पुरोहितों का जुटना शुरू हुआ। इसके बाद देवस्थानम बोर्ड के विरोध में आवाज उठने लगी।
बोर्ड को रद्द करने और चारधाम यात्रा को विधिवत रूप से संचालित करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था। तीर्थ पुरोहितों का कहना था कि देवस्थानम बोर्ड सिर्फ थोपा हुआ प्रबंधन तंत्र है, जो परंपराओं में खलल पैदा कर रहा है।
श्री बदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पंकज डिमरी का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड की नाकामी के कारण इतिहास में पहली बार बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने के समय में परिवर्तन किया गया था।