बुधवार, 2 नवंबर को कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी है। इस तिथि को आंवला नवमी कहते हैं। पुराण कहते हैं कि इस तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में आंवला डालकर नहाना चाहिए और आंवले के पेड़ की पूजा के बाद आंवला खाना और इसका दान भी करना चाहिए। ऐसा करने से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता। साथ ही बीमारियां भी दूर होती हैं और उम्र भी बढ़ती है।
आंवले के पानी से दूर होती हैं बीमारियां
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस तिथि पर आंवले के पेड़ की पूजा करने से समृद्धि बढ़ती है और लक्ष्मी जी की विशेष कृपा मिलती है। इस दिन पानी में आंवले का रस मिलाकर नहाने से पवित्रता बढ़ती है। आंवले के पानी से नहाने पर नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। बीमारियां भी दूर होती हैं।
भगवान विष्णु-लक्ष्मी का पसंदीदा फल
धर्माचार्यों का कहना है कि आयुर्वेद के लिहाज से आंवला सेहत के लिए वरदान है। इसे रोज खाने से उम्र बढ़ती है। पुराणों में बताया है कि आंवला, विष्णु और लक्ष्मी जी का पसंदीदा फल है। इसलिए इसे खाने से पुण्य भी बढ़ता है और पाप खत्म हो जाते हैं। पीपल और तुलसी की तरह आंवला भी पूजनीय और पवित्र है। इसी वजह से आंवला नवमी पर इसकी पूजा करते हैं।
आंवले को कहते हैं लक्ष्मी फल
धर्माचार्यों का कहना है कि आदिशंकराचार्य को एक गरीब ने भिक्षा में सूखा आंवला दान किया था। गरीब की दशा देख शंकराचार्य दुखी हुए। उन्होंने उस आंवले पर कनकधारा स्तोत्र पढ़कर सोने की बारिश करवा दी थी। इसलिए आंवले को लक्ष्मी फल भी कहा गया है। तब से आंवला दान करने की भी परंपरा है। माना जाता है इसके दान से लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है।