मई माह में उत्तराखंड में गांवों में कोविड प्रबंधन का दबाव भी अब सरकार पर बढ़ गया है। अब तक करीब 50 हजार प्रवासी लौट चुके हैं और सरकार को अब इनके लिए गांवों में क्वारंटीन सेंटरों की व्यवस्था करनी होगी और कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने का पुख्ता इंतजाम करना होगा।
कोरोना की पहली लहर में प्रदेश में करीब तीन लाख प्रवासी लौटे थे और इनमें से महज 30 प्रतिशत ही वापस गए। इस बार फिर दिल्ली सहित अन्य कई राज्यों में लॉकडाउन की वजह से प्रवासियों का लौटना शुरू हो गया है।
शासन स्तर पर की गई पड़ताल से सामने आया कि करीब 50 हजार प्रवासी वापस लौटे हैं। 21 अप्रैल से पंजीकरण शुरू किया गया था और प्रवासियों से कहा गया था कि वे स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर पंजीकरण कराएं। प्रदेश सरकार के लिए चौंकाने वाली बात यह है कि मई माह में प्रवासियों के लौटने की रफ्तार बढ़ी है।
यह तब है जबकि मई माह में प्रदेश में कोरेेना विस्फोट हुआ है और रोज पांच हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। पंचायत विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक एक मई से लेकर दस मई के बीच पहले आए प्रवासियों की तुलना में दोगुने प्रवासी वापस लौटे हैं।