केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में तीन भाई-बहनों ने एक साथ जम्मू कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की है। तीनों भाई बहनों ने किताबें शेयर कर एक साथ तैयारी की और परीक्षा पास की। इनमें से दो ने अपने पहले और तीसरे ने दूसरे प्रयास में सक्सेज हासिल की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज स्टोरी के बारे में....इफरा अंजुम वानी और उनके छोटे भाई सुहेल अहमद वानी ने अपने पहले प्रयास में जम्मू कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा पास की, जबकि हुमा वानी, जो तीनों में सबसे बड़ी हैं, ने अपने दूसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की। इन तीनों ने बिना कोचिंग के सिर्फ इंटरनेट की मदद से अपनी परीक्षा की तैयारी की।
जम्मू कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा में सुहेल अहमद वानी को 111, हुमा को 117 और इफरा को 143वां स्थान मिला है। सुहेल ने साल 2019 में गवर्नमेंट एमएएम कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। वहीं हुमा और इफरा ने साल 2020 में इग्नू से राजनीति विज्ञान में एमए किया। भाई-बहनों ने 2021 में सिविल सेवाओं की तैयारी करने की ठानी। बताया जाता है कि इनके पिता मुनीर अहमद वानी एक श्रमिक ठेकेदार हैं। वे महज 15 से 20 हजार रुपये महीना की नौकरी करते हैं। 2014 तक मुनीर ने एक निजी कंपनी में मैकेनिक के रूप में काम किया था। मुनीर की पत्नी गृहणी हैं।
ये सभी जम्मू में बहू किले के पास स्थित शाहबाद कॉलोनी की एक संकरी गली में तीन कमरों के घर में रहते थे। ये लोग यहां 2010 में आगे की पढ़ाई के लिए शिफ्ट हुए थे। तीनों भाई-बहनों ने कहारा और पास में ही स्थित किश्तवाड़ शहर से अपनी प्रारंभिक शिक्षा कंप्लीट की थी। कहारा में अपने पैतृक घर तक के लिए पहुंचने में उन्हें 5 किमी पैदल चलना पड़ता था। मुनीर ने जम्मू में ये घर अपने बहनोई सादिक हुसैन वानी के साथ साझेदारी में खरीदा था ताकि उनके बच्चे अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर सकें। ऐसे में तीनों भाई बहन एक ही कमरे में रहते थे। दरअसल, सर्दियों के सीजन में घर में 10-12 और गर्मियों में 6-8 लोग रहते थे।
इफरा के मुताबिक- हमारे पिता की मासिक आय कम थी और इस कारण हमारे पास मोबाइल फोन भी नहीं था, हमारे पास हर विषय की सिर्फ एक किताब थी जिसे हमें आपस में शेयर करना होता था। ऐसे में हुमा और सुहैल के बीच हमेशा एक विशेष विषय का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता जिससे कई बार उन दोनों में बहस हो जाती थी। इफरा ने कहा कि वह उनके बीच मध्यस्थ हुआ करती थी और उन्हें एक-दूसरे के साथ सहयोग करने के लिए राजी करती थी।