नई दिल्ली: ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। साथ ही ब्रिटेन में सियासी अस्थिरता का दौर समाप्त हो गया। ऐसे में सवाल उठता है कि ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री के सामने क्या बड़ी चुनौतियां होंगी और उन्हें वे कैसे हल करेंगे। इन मामलों में विशेषज्ञों की अपनी राय है।
विदेश मामलों के जानकार प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि
ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री के सामने कई मुश्किलें और चुनौतियां हैं। इनमें सबसे अधिक
मुश्किल होगा ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना। थोड़े समय के लिए पीएम
रहीं लिज ट्रस के कार्यकाल में कंजर्वेटिव पार्टी संकट में पड़ गया और उनके फैसलों
से ब्रिटेन के वित्तीय बाजार पर नाकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि गंभीर बात
यह है कि ब्रिटेन में लोग इस आर्थिक संकट के लिए कंजर्वेटिव पार्टी को जिम्मेदार
मान रहे हैं। ऐसे में नए प्रधानमंत्री सुनक को ब्रिटेन में आर्थिक संकट से उबारने
के साथ ब्रिटेन के लोगों का विश्वास भी जीतना होगा।
ये चुनौतियां भी गंभीर
प्रो. पंत ने कहा कि ब्रिटेन में आर्थिक संकट के कारण नए
प्रधानमंत्री के पास सेवाओं पर खर्च करने के लिए कम धन होगा, जो बड़ी चुनौती होगी। कोरोना काल में ब्रिटेन की नेशनल
हेल्थ सर्विस, बुजुर्गों, विकलांगों की
सेवाओं और शिक्षा सेवा क्षेत्र पर अधिक असर पड़ा। आर्थिक संकट में इन सेवाओं को
पटरी पर ले आना सुनक के सामने जटिल चुनौती होगी। इसके साथ ही जलवायु
परिवर्तन और ऊर्जा संकट एक बड़ी समस्या है, जिस पर नए प्रधानमंत्री
को नियंत्रण पाना होगा। ऊर्जा संकट का खेल आंतरिक मामला नहीं है और ऐसे में सुनक
ब्रिटने की जनता को यह समझा पाने में कैसे कामयाब होते हैं, यह उनके सामने एक
बड़ी चुनौती होगी।
प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि सुनक के समक्ष गुटों में बंटी
कंजर्वेटिव पार्टी को एकजुट करने की बड़ी चुनौती होगी। अगर वह पार्टी को एकजुट
नहीं कर सके तो ट्रस का उदाहरण उनके समाने होगा। पार्टी के सभी गुटों को एक मंच पर
लाना और पार्टी हितों पर काम करवाने पर जोर देना उनके सामने जटिल चुनौती होगी। सुनक
को पार्टी के बाहर और उसके अंदर एक बेहतर संतुलन बनाना होगा।
ज्वलंत विदेशी मामले भी चुनौती
उन्होंने कहा कि नए प्रधानमंत्री के सामने देश के आंतरिक
मामलों के साथ ज्वलंत विदेशी मामले भी मुंह बाए खड़े हैं। यूक्रेन जंग को लेकर
ब्रिटेन की कूटनीति में क्या कोई बदलाव आएगा। क्या ब्रिटेन अपनी आर्थिक तंगी के
बीच यूक्रेन का समर्थन जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को
यूक्रेन का समर्थन जारी रखना होगा। इसके अलावा ब्रेक्जिट के दौरान आयरलैंड सीमा को
लेकर यूरोपीय संघ के साथ विवाद का निबटारा करने की भी चुनौती होगी।