चमोली : बुरांश के परियोजना समन्वयक जीत बहादुर ने बताया कि यमुना घाटी में 184 मिर्गी और अन्य मानसिक रोग से पीड़ित मरीजों की अब तक पहचान की गई है। जिसमें केवल पांच मरीज ही उचित चिकित्सकीय सलाह से दवा ले पा रहे है। उन्होंने कहा कि मरीजों से बात करने पर पता चला कि इलाज के लिए देहरादून या अन्य बड़े शहरों तक जाना पड़ता है। जो मरीजों के लिए बेहद खर्चीला होता है। मरीजों की समस्या को देखते हुए यमुना वैली डॉक्टर, सीएचओ, एएनएम, आशा समन्वयक, आशा कार्यकत्रियों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि स्थनीय लोगों को स्थानीय स्तर पर ही उपचार मिल सके।