बड़कोट(उत्तरकाशी) : यमुनोत्री क्षेत्र में भूस्खलन और यमुना नदी के कटाव से बेशकीमती भोजपत्र के जंगल पर खतरा मंडरा रहा है। भोजपत्र के पेड़ों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए शीघ्र पहल नहीं की गई तो यह विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाएंगे। समुद्रतल से करीब चार हजार मीटर ऊंचाई पर पाए जाने वाले भोजपत्र का जंगल यमुनोत्री धाम से लगे गरूड़ गंगा के दाईं ओर फैला है।2012 में जब यमुना नदी में बाढ़ आई थी, तब भी भू-कटाव से जंगल को काफी नुकसान पहुंचा था। हनुमान चट्टी डोडीताल ट्रैक रूट पर भी भोजपत्र के पेड़ों को हानि पहुंची थी। बावजूद इसके भोजपत्र के जंगलों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए कोई ठोस योजना नहीं बन पाई। क्षेत्र के अजबीन पंवार, अरविंद सिंह रावत, पवन उनियाल, नरेश पंवार, आलोक उनियाल, लोकेश चौहान का कहना है कि भोजपत्र के जंगलों को आपदा और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भू-कटाव के कारण बहुत नुकसान पहुंचा लेकिन संरक्षण के लिए योजना नहीं बनी। उन्होंने शासन-प्रशासन से भोजपत्र के जंगलों के संरक्षण के लिए योजना बनाने की मांग की है।