कहावत है कि, पहले तौलो तब बोलो लेकिन लगता है राजस्थान सीएम इस पर अमल नहीं करना चाहते, इसलिए अब वो बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं।
दरअसल, राजस्थान सीएम ने बजट में किसानों को मुफ्त बिजली का एलान तो कर दिया लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जारी 20वीं विद्युत शक्ति सर्वेक्षण रिपोर्ट से राज्य सरकार की नींद उड़ गई है। यहां कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन कम हुआ है। वहीं मेंटेनेंस के चलते भी उत्पादन की कई इकाइयां बंद पड़ी हैं, जिस कारण ज्यादा मांग और किसानों को बिजली देने की नीयत से 12 रुपये दर से महंगी दर पर बिजली खरीद की जा रही है, वो भी चार घंटे की कटौती के बाद ये नौबत आन पड़ी है।
बता दें कि, इसका असर न केवल उपभोक्ता पर पड़ा, बल्कि कर्मचारी और अधिकारी भी इससे अछूते नहीं रहे। गत छह महीने से महंगी दर पर बिजली खरीद और वित्तीय प्रबंधन सही तरह न करने के कारण वेतन तक समय पर जारी नहीं किया गया, जिस कारण कर्मचारियों को आंदोलन तक करने पड़ गए।
दूसरी ओर कोयला समय पर उपलब्ध न होने और केंद्र एवं राज्य सरकार में समन्वय की कमी के कारण सरकारी बिजली निगमों को उचित गुणवत्ता का कोयला न मिलने से भी कई इकाइयां बंद पड़ी है।