एटीएस (एंटी टेरिज्म स्क्वाड) यानि आतंकवाद निरोधक दस्ता। कांवड़ मेले में हरकी पैड़ी और आसपास घाटों पर विशेष पुलिस बल के कमांडो तैनात हैं। दूसरों की जानमाल की सुरक्षा के साथ बारिश में हथियारों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। उमस भरी गर्मी में हरदम साढ़े छह किलो की बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर उफ तक नहीं करते। साढ़े तीन किलो से अधिक वजनी असाल्ट राइफल को अपने शरीर का हिस्सा मानकर ड्यूटी कर रहे हैं।
एटीएस वीवीआईपी, वीआईपी सुरक्षा के अलावा कुंभ और कांवड़ मेले जैसे आयोजनों पर तैनात की जाती है। कांवड़ मेला अंतिम चरण पर है। औसतन रोजाना उत्तर भारत से 35 लाख से अधिक शिवभक्त हरिद्वार पहुंच रहे हैं। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां मेले को लेकर अलर्ट जारी कर चुकी हैं। मेले पर आतंकी हमले की आशंका से हरकी पैड़ी से लेकर मेला क्षेत्र और कांवड़ रूट पर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मी हैं। इनमें केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों और पीएसी की करीब 19 कंपनियों के अलावा स्थानीय पुलिस तैनात है। कुल तैनात फोर्स की संख्या करीब दस हजार से अधिक है। हरकी पैड़ी अति संवेदशील है। हरकी पैड़ी एटीएस की निगरानी में है। एटीएस की चार कंपनियों के करीब 24 जवान हरकी पैड़ी एवं आसपास के घाटों पर रात-दिन ड्यूटी पर तैनात हैं। इनमें महिला कमांडो भी शामिल हैं।उमसभरी गर्मी से हर कोई परेशान है। कोई गंगा में डुबकी लगाकर तो कोई कहीं छांव का सहारा लेकर गर्मी से बचता नजर आ रहा है। लेकिन एटीएस के कमांडो साढ़े छह किलो की बुलेट प्रूफ जैकेट हर मौसम में पहनते हैं। उमसभरी गर्मी में कपड़े भीग जाते हैं। लेकिन जैकेट उतार नहीं सकते हैं। इसी तरह हेलमेट पहनने से सिर से पसीने की धार बहती है। 3.6 किलो वजनी राइफल कंधे से आगे की तरफ लटकी रहती है। हरदम ट्रिगर पर अंगुली और लक्ष्य की तरफ निगाह लगी रहती है।कमांडो प्रभारी नीरज कुमार बताते हैं, राइफल, जैकेट और हेलमेट उनके शरीर का हिस्सा बन गया है। भारी जूते, पिस्टल और चाकू वर्दी का हिस्सा है। कमांडो इस वजन को महसूस नहीं कर पाते हैं। ट्रेनिंग में यही सिखाया जाता है।