किसी भी इंसान की सक्सेज में जिद और जुनून का बहुत बड़ा हाथ होता हैं। कहते हैं कि अगर इंसान कुछ करने की ठान लें तो सफलता उसके कदम जरूर चूमती है। बहरोड़ क्षेत्र के कांकरा बर्ड़ोद के सुभाष ओला भी ऐसे शख्स हैं, जो जिद और जुनून से न केवल सफल व्यवसायी बने हैं बल्कि, 140 से अधिक लोगों को रोजगार भी दिया है। मशीनों में नवाचार करने के लिए सुभाष ओला को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। इनकी मावा मेकिंग मशीन की विदेशों में भी जबरदस्त डिमांड है। सुभाष ओला ने बताया कि 11वीं क्लास की भौतिक विज्ञान की किताब में उन्होंने साइंटिस्ट प्लांक का नियम पढ़ा था जिसमें बताया गया कि ऐसी कोई डिवाइस नहीं जिससे एग्जास्ट से निकले धुएं या स्टीम को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सके। इसके बाद उनका मन पढ़ाई में नहीं लगा और उन्होंने साइंटिस्ट के इस कथन को गलत साबित करने की ठान ली।
बकौल सुभाष शुरुआत में उन्होंने मनोरंजन समझा लेकिन साल 1984 से 1994 तक लगातार कड़ी मेहनत करने के बाद उन्होंने एक डीसी थर्मल पवर प्लांट तैयार किया, जो 50 फीसदी एनर्जी की बचत और 90 फीसदी पानी की बचत करने में सक्षम था। इसके बाद सुभाष ने मावा मेकिंग मशीन निर्मित की। यह मशीन काफी खास है। इस मशीन उन्होंने काफी नवाचार किए। सुभाष ने बताया कि इस काम की शुरुआत उन्होंने अकेले की, लेकिन धीरे-धीरे कांरवा बढ़ता गया और अब उनके पास एक अच्छी खासी टीम है। अब उनके साथ सूबेसिंह व सुनील स्वामी जैसे लोग उनके साथ हैं। सुभाष ने बनाया कि जब उनकी द्वारा बनाई गई मशीन की जानकारी केंद्र सरकार की एक टीम को मिली तो इस टीम ने उनकी बनाई मावा मेकिंग मशीन की जांच की।
इसके लिए मशीन को राष्ट्रपति भवन ले जाया गया, जिसे राष्ट्रपति ने देखा। इसके बाद साल 2015 में इनोवेशन के क्षेत्र में दिए जाने वाले अवॉर्ड से राष्ट्रपति ने सुभाष को सम्मानित किया। सुभाष अब जीनियस एनर्जी क्रिटिकल इन्नोवेशन प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के मालिक है, जिसमें 140 से अधिक लोग काम करते हैं। सुभाष ने बताया कि उन्हें 2015 में राष्ट्रपति से नेशनल अवार्ड मिल चुका है। वहीं 2018 में वे थाईलैंड में वर्ल्ड अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं। फ्रांस से भी उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि भी दी गई है। इसके साथ ही उन्हें कई स्टेट अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।