टिहरी: बांध प्रभावित गांवों में झील के कारण हो रहे नुकसान का जायजा लेने के लिए संयुक्त विशेषज्ञ समिति (जेईसी) तीन दिन के भ्रमण पर आज सोमवार को टिहरी पहुंची है. समिति के सदस्य दो दिन भागीरथी घाटी में और एक दिन भिलंगना घाटी के चिन्हित गांवों का भ्रमण कर आकलन करेंगे. टिहरी बांध प्रभावित ग्रामीण लंबे समय से झील के कारण गांवों में भूस्खलन की शिकायत कर रहे हैं. समय-समय पर प्रभावित ग्रामीण पुनर्वास निदेशक सहित शासन-प्रशासन से गांवों का सर्वे कराने की मांग करते आ रहे हैं.अवस्थापना (पुनर्वास) खंड नई टिहरी के ईई धीरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि जनप्रतिनिधियों और पुनर्वास निदेशक के निर्देश पर आज सोमवार 30 जनवरी को समिति भागीरथी घाटी के ग्राम राम गांव, तिवाड़ गांव, भल्डियाणा, भल्ड गांव, हडियाडी जबकि 31 जनवरी को डोबन, सरोट, चिन्यालीसौड़ का स्थलीय निरीक्षण करेंगे. उन्होंने बताया कि 1 फरवरी को समिति के सदस्य भिलंगना घाटी के ग्राम उठड़, पिपोलाखास, नंदगांव, नारगढ़, पिपोला-ढुंग मंदार और पिलखी गांव का भ्रमण करेंगे.टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा, मामले की कोर्ट में पैरवी करने वाले शांति प्रसाद भट्ट, प्रदीप भट्ट, कुलदीप पंवार आदि ने बताया कि बांध के जलाशय का जलस्तर घटने-बढ़ने के कारण आरएल 835 से ऊपर के गांवों में लगातार भूस्खलन हो रहा है. पिपोलाखास, नारगढ़, लुणेटा, भटकंडा, रौलाकोट गांवों में लोगों के घरों और जमीन पर लंबी-लंबी दरारें पड़ी हुई हैं. लोग दहशत में जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में जेईसी इन गांवों का निरीक्षण कर जल्द रिपोर्ट उपलब्ध कराए.