कर्नाटक हाईकोर्ट ने शवों को दफनाने के लिए भूमि प्रदान करने में सरकार की कथित विफलता के मामले को गंभीरता से लिया है। न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा ने कहा कि, सरकार इस मुद्दे पर गैर जिम्मेदाराना व्यवहार कर रही है।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि, अगर शव दफनाने के लिए जगह नहीं है। तो क्या वहां शवों को सड़कों पर फेंक दिया जाए। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। दरअसल शवों को दफनाने को लेकर मोहम्मद इकबाल की ओर से पहले दायर याचिका के आधार पर हाईकोर्ट ने राज्य को उन गांवों में शवों को दफनाने के लिए छह सप्ताह में जगह देने का निर्देश दिया था, जहां दफनाने के लिए जगह नहीं है।
हालांकि, 2019 के आदेश को अभी तक सरकार ने लागू नहीं किया है। इकबाल ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका के साथ अदालत का रुख किया। सरकारी वकील ने मामले में स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट से समय मांगा है। जिसको लेकर इस बार कोर्ट ने चेतावनी दी है कि, 15 दिनों के भीतर अगर गांवों-कस्बों में शवों को दफनाने की व्यवस्था नहीं हुई तो राजस्व विभाग के प्रधान सचिव को कोर्ट की अवमानना पर जेल भेजा जाएगा।