चमोली के रैणी गांव में आई भयंकर आपदा ने हर शख्स को झकझोर कर रख दिया है। पर्यावरणविदों की मानें तो रैणी में आई आपदा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का परिणाम बताया जा रहा है।
उत्तराखंड में पहाड़ियों में ब्लास्ट कर के निर्माण भी किया जा रहा है। जिसके खतरनाक परिणाम ग्लेशियर टूटने के रूप में सामने आये हैं। वैज्ञानिकों ने भी चमोली आपदा को लेकर बहुत आशंकाएं जताई हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने आशंका जताई की रैणी क्षेत्र में स्नो एवलांच के साथ ही ग्लेशियर टूटने की वजह से तबाही हुई। पर वैज्ञानिकों का कहना है कि आपदा की असली वजह क्या है? इस संबंध में विस्तृत वैज्ञानिक जांच के बाद ही पता चल पायेगा ।