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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 24 Nov 2021 11:26 am IST

खुलासा

खुलासाः जेल में बंद कुख्यात चला रहे रंगदारी, फिरौती व तस्करी का नेटवर्क 


देहरादून। जेलों में बंद अपराधियों की ओर से जिस तरह रंगदारी, फिरौती व तस्करी की घटनाओं को नेटवर्क के जरिये अंजाम दिया जा रहा है, उससे जेल प्रशासन की चुनौतियां बढ़ गई हैं। उत्तराखंड की जेलों में बंद पश्चिमी उप्र के बदमाश जेल से ही अपना नेटवर्क चला रहे हैं। इनमें कुख्यात कलीम व पौड़ी जेल में बंद नरेंद्र वाल्मीकि का नाम सामने आ चुका है।जेलों में बढ़ रही इस तरह की घटनाओं के लिए स्टाफ की मिलीभगत को नकारा नहीं जा सकता है। पिछले महीने उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने जेल में बंद बदमाश कलीम के रंगदारी मांगने का पर्दाफाश किया था। एक महीने बाद दूसरी बार अल्मोड़ा जेल में चरस व गांजा तस्करी करवाने का मामला सामने आया है। इसी महीने एसटीएफ ने पौड़ी जेल में दबिश देकर अपराधियों के नेटवर्क को ध्वस्त किया। जेल में बैठे कुख्यात नरेंद्र वाल्मीकि ने चार व्यक्तियों की हत्या की सुपारी ली थी। इसमें एक महिला व उसके पति को मरवाने के लिए 10 लाख रुपये लिए थे। इस मामले में पुलिस ने नरेंद्र वाल्मीकि के तीन शूटर व हत्या की सुपारी देने वाले दो भाइयों को गिरफ्तार किया। जेल से चल रहे अपराधियों के नेटवर्क का यह चौथा मामला है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस को जिन जेलों से नेटवर्क संचालित होने की सूचना मिल रही है, वहां पर कार्रवाई की जा रही है। अब यह जेल प्रशासन को सोचना होगा कि किस तरह से जेलों से चल रहे नेटवर्क को ध्वस्त करना है। अल्मोड़ा जेल से नेटवर्क चलाने की यह दो महीने में दूसरी घटना है। जेल प्रशासन को और सख्त होने की जरूरत है।

जेलों की मानिटरिंग पर भी उठ रहे सवाल

जेलों से संचालित आपराधिक नेटवर्क के लिए जेल स्टाफ की मिलीभगत को नकारा नहीं जा सकता। अक्टूबर महीने में जेल से रंगदारी व चरस तस्करी गिरोह संचालित कर रहे कुख्यात बदमाश कलीम के बैरक से पुलिस नकदी व मोबाइल बरामद किए थे। इस मामले में चार अधिकारियों व कर्मचारियों पर गाज भी गिरी। यदि जेलों की सही ढंग से पर्यवेक्षण व मानिटरिंग होती रहे तो इस तरह के मामलों पर रोक लगाई जा सकती है। हालांकि, जेल अधिकारी इसके पीछे क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या को भी कारण बता रहे हैं।