इस बार गणतंत्र दिवस परेड में महिला शक्ति हर तरफ दिखाई दी। सुरक्षा एजेंसियों में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है और मौके भी बढ़ रहे हैं। भले ही महिलाओं को हक दिलाने वाले बहुत से फैसले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लिए गए, लेकिन वे सशस्त्र सेनाओं में अपनी जगह बना रही हैं। भारतीय सेना में भी महिलाओं के लिए नए रास्ते खुल रहे हैं।
महिलाएं भले ही अभी भारतीय सेना की कॉम्बैट आर्म यानी इंफ्रेंट्री, मैकेनाइज्ड इंफ्रेंट्री और आर्मर्ड में नहीं हैं, लेकिन फॉरवर्ड एरिया (अग्रिम मोर्चों) में जाने के उनके लिए मौके खुले हैं।
भारतीय सेना अब महिला अधिकारियों को आर्टिलरी में भी लेने की दिशा में आगे बढ़ रही है, बस सरकार से अप्रूवल का इंतजार है। यह फॉरवर्ड एरिया में ड्यूटी करने का मौका है। वैसे यह कॉम्बैट आर्म नहीं है, लेकिन आर्टिलरी का रोल इनसे जुदा नहीं है।
दो साल पहले भारतीय सेना के तत्कालीन चीफ जनरल एमएम नरवणे (रिटायर्ड) ने महिलाओं के लिए आर्मी एविएशन में पायलट बनने के विकल्प का एलान किया था। अब महिलाएं फौज में पायलट भी बन रही हैं और यह भी उनके फॉरवर्ड एरिया में जाने का एक मौका है। इससे पहले वे सिर्फ ग्राउंड ड्यूटी पर ही होती थीं।
भारतीय सेना में अब महिलाएं उन सभी ब्रांच में परमानेंट कमिशन पाने की हकदार हैं, जिनमें वह शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत आई हैं। महिला अधिकारी आर्मी एयर डिफेंस, सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस कोर और इंटेलिजेंस कोर में परमानेंट कमिशन की हकदार हैं।
इसका मतलब है कि वह इन सभी ब्रांच में कर्नल और इससे ऊपर की किसी भी रैंक तक पहुंच सकती हैं। हालांकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ी गई, लेकिन अब महिलाओं के लिए भारतीय सेना में ब्रिगेड कमांडर बनने का रास्ता भी खुला है।
कमांड का रास्ता
पहली बार सेना की इंजीनियरिंग ब्रांच में 28, सिग्नल्स में 18, आर्मी एयर डिफेंस में 3, आर्मी सर्विस कोर में 14, आर्मी एविएशन कोर में 19, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स में 21 और इंटेलिजेंस कोर 5 महिला अधिकारियों को पिछले दिनों कर्नल रैंक में प्रमोशन मिला। इससे भारतीय सेना में महिलाओं का ब्रिगेड कमांड करने का रास्ता भी खुल जाएगा, जो अपने आप में इतिहास होगा। सेना में सभी आर्म्स और सर्विसेज की यूनिट को उसी आर्म्स और सर्विस के ऑफिसर कमांड करते हैं। लेकिन सेना की जो फाइटिंग फॉर्मेशन होती है यानी ब्रिगेड, डिविजन, कोर और कमांड- उन्हें आर्म्स के अधिकारी ही कमांड करते हैं।
मौके ही मौके
अभी महिलाएं इंफ्रेंट्री, मैकेनाइज्ड इंफ्रेंट्री और आर्मर्ड में नहीं हैं लेकिन एयर डिफेंस, इंजीनियर्स और सिग्नल्स में हैं। और इसमें वह प्रमोशन पाकर पहली बार कर्नल भी बन गई हैं। जब ये फिर प्रमोशन पाकर ब्रिगेडियर बनेंगी तो इनमें से भी कुछ महिलाओं के सामने जनरल काडर में शिफ्ट होने का ऑप्शन होगा। अगर उन्हें जनरल काडर में शिफ्ट होने का मौका मिल गया तो फिर पहली बार महिला अधिकारी सेना में ब्रिगेड कमांडर भी बन सकती है। सेना में सपोर्टिंग आर्म के कुछ चुनिंदा अधिकारियों को ब्रिगेडियर रहते हुए जनरल काडर में शिफ्ट होने का मौका दिया जाता है। यह मौका अब महिलाओं के लिए भी खुला है। हालांकि इसके लिए अभी करीब 10 साल इंतजार करना होगा, क्योंकि अभी तो उन्हें कर्नल रैंक में प्रमोशन मिला है। इसके आगे प्रमोशन पाकर ब्रिगेडियर बनने में 10-11 साल का वक्त लग जाता है।
बराबरी का मुकाबला
महिला अधिकारियों को खुद को भी इसके लिए तैयार करना होगा, क्योंकि अब रेस में उनका मुकाबला साथी पुरुष अधिकारियों से होगा। किस अधिकारी ने फील्ड में कितना काम किया है यह भी प्रमोशन के वक्त मायने रखता है। कर्नल रैंक से आगे प्रमोशन के वक्त उनकी दो साल की कमांड की रिपोर्ट देखी जाएगी। महिलाओं को जो मौके मिल रहे हैं उन्हें उसका पूरा इस्तेमाल कर आगे बढ़ने के लिए शुरू से ही अपना करियर प्लान करना पड़ेगा और खुद को साबित करना होगा।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स