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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 10 May 2023 11:25 am IST


व्यंग्यः महंगाई राहत कैंप की यात्रा


भाई साहब के पोते के यज्ञोपवीत संस्कार में शामिल होने के लिए का साहस जुटाया। दोनों तरफ की यात्रा कोई 140 किलोमीटर की ही थी। सुबह जाकर शाम को आ गए लेकिन हमारे थकने के लिए तो इतना ही काफी है। कौन हमारी छाती छप्पन इंच की है। और छप्पन इंच की हो भी तो बुढ़ापा तो सभी को आता है जो खुद एक लाइलाज बीमारी है। बूढ़े हाथी की कौए आँखें निकालकर ले जाते हैं।

थकने के साथ साथ पतले दस्त भी और हल्का बुखार भी। जो कुछ खाकर आए थे उसके साथ पहले का जमा भी निकल गया। चाय क्या, पानी पीने से भी डर लगता है। कुछ भी पिया तो चलो शौचालय की तीर्थयात्रा पर। पड़े थे खाट पर जैसे आदर्श चुनाव संहिता लागू होने पर रैली और रोड़ शो का शौकीन कोई नेता।

तोताराम कौन पूछकर आता है। किसी मंदिर या भंडारे का चन्दा या वोट मांगने वाला भी कौन पूछकर आता है।अपराधियों की तरह घर को संसद समझकर घुस आता है।

बोला- उठ।

हमने कहा- इसी गति से दस्तों की विकीलीक्स होती रही तो उठ भी जाएंगे।

बोला- शुभ, शुभ बोल। अभी आडवाणी जी भारतरत्न के इंतजार में बैठे हैं।

जैसे मंचों से रिटायर कर दिए गए कवि को कविसम्मेलन का निमंत्रण या निर्देशक मण्डल में पटक दिए गए नेता को चुनाव का टिकट मिल जाए तो सुनते ही सफेद बाल काले हो जाते हैं, पुराना सिल्क का कुर्ता निकल आता है वैसे ही हम भी उठ बैठे और पूछा- बात, उठकर चलना कहाँ है?

बोला- राजस्थान सरकार ने ‘नगर परिषद में महंगाई राहत कैंप’ लगाया है।

हमने कहा- जैसे सरकार बिना पूछे ही गैस के दाम बढ़ा देती है वैसे ही सरकार घटा दे चीजों के दाम और मिल गई राहत। कैंप की क्या जरूरत है?

बोला- नहीं, वहाँ जाकर रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा, कुछ कागजात दिखाने होंगे और उसके बाद वे लोग जाँचकर बताएंगे कि तुम्हें कोई राहत मिलेगी या नहीं।

हमने कहा- इस भागमभाग और प्रक्रिया पूर्ति में हम शहीद हो गए तो? हम तो बिना सब कुछ स्पष्ट हुए नहीं जाएंगे।

बोला- जब जिला कलेक्टर ने रजिस्ट्रेशन करवाया है तो तेरी पात्रता में क्या कमी हो सकती है। कहाँ वे क्लास वन ऑफिसर हैं और कहाँ तू एक रिटायर्ड मास्टर।

हमने कहा- क्या पता, हमारी भी वही हालत हो जो 15 लाख के जुमले से बेवकूफ बनी जनता की हो रही या जैसे विवाह के झांसे में यौन शोषण करवाती रहने वाली महिला की।

चुनावी वर्ष है, हम किसी सरकारी विज्ञापन का ऐसे ही विश्वास नहीं कर सकते। क्या पता, जिसे भक्तों को बजरंगबाली का अपमान कहकर भड़काया जा रहा हो वह किसी बाबू बजरंगी का मामला हो।

तभी एक पड़ोसी निकले। ठीकठाक सरकारी अधिकारी हैं। हमने कहा- शेखावत जी, कभी महंगाई राहत लेने जाओ तो हम दोनों को भी ले चलना।

बोले- अंकल, सब बी पी एल वालों के लिए हैं जिन्हें पहले से यह सब कुछ मिल रहा है। हमें तो केवल बिजली बिल में 100 यूनिट का लाभ मिलेगा। वह भी कब तक मिलता रहेगा, यह नहीं कहा जा सकता। क्या पता वैसे ही बंद हो जाए जैसे चुनाव जीतने के बाद गैस सबसीडी और आप बुजुर्गों की रेल किराये में छूट।

हमने कहा- तोताराम, अब जब तेरा मन हो चले जाना। हमें जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि बिजली का कनेक्शन हमारे नहीं, बेटे के नाम से है।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स