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DevBhoomi Insider Desk
• Sat, 1 Apr 2023 10:52 am IST


घर-घर घुसे साहूकार


पुरानी हिंदी फिल्मों में आपने अक्सर यह देखा होगा। किसी किसान का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी जमींदार का कर्ज चुकाता जाता है। फिर भी कर्ज बाकी रह जाता है। एक वक्त आता है, जब जमींदार कहता है कि अब तक जो भी चुकाया गया, वह ब्याज था। मूलधन अभी भी बाकी है। आज 2023 में मानो असल जिंदगी में वही सीन दोहराने की स्थिति आ रही है।

इन दिनों आम लोग सोशल मीडिया पर बता रहे हैं कि वे लोन की तेजी से बढ़ती ब्याज दरों से किस तरह परेशान हैं। पर्सनल फाइनैंस से जुड़े एक ग्रुप पर सिद्धार्थ आर्य लिखते हैं, मुझे बैंक ने ईएमआई 5000 रुपये बढ़ाने के लिए कहा है नहीं तो लोन 47 साल तक चुकाना होगा। रोहित थरेजा ने जानना चाहा कि होम लोन की ब्याज दरें बढ़ रही हैं तो बाकी लोग इसके मुकाबले के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। एक वित्तीय जानकार ने समझाया कि लोन इतना ही लेना चाहिए, जिसकी ईएमआई चुभे नहीं। आपकी ईएमआई टेक होम सैलरी के एक चौथाई से ज्यादा न हो। इस सलाह को सुनकर रोहित की प्रतिक्रिया थी, आप मजे ले रहे हो। रोहित अब पीपीएफ जमा में कटौती के लिए तैयार हैं।

जब कोरोना आया तो होम लोन की ब्याज दरें काफी कम थीं। करीब एक साल पहले तक यही स्थिति कायम रही। दरअसल लोगों को रियल एस्टेट बाजार में खींचने के लिए ब्याज दरों में कमी की गई थी। लोगों को बताया गया कि यह अच्छा मौका है, जब घर खरीदा जाए। लेकिन ये असल बात नहीं बताई गई। ब्याज दरों का अपना एक चक्र होता है, जो तेजी से घूम सकता है। सच पूछिए तो दुनिया भर के केंद्रीय बैंक ब्याज दर बढ़ाते हैं, लेकिन वे खुद इसके भविष्य का अंदाजा सही-सही नहीं लगा सकते। कोई नहीं जानता आगे चलकर ब्याज दरें गिर भी सकती हैं। लेकिन जब ब्याज दरें गिरती हैं, तो बैंक आपके होम लोन को इतनी जल्दी सस्ता नहीं करते। बैंक अक्सर इसके लिए भी कीमत वसूलते हैं।

आज होम लोन की ब्याज दरें 6.5 फीसदी से बढ़कर 9 फीसदी के करीब पहुंच चुकी हैं। जिनके होम लोन का ज्यादा वक्त नहीं हुआ, उनकी ईएमआई से ज्यादातर ब्याज का भुगतान हुआ होगा। मूलधन में कुछ खास कमी नहीं आई होगी। अगर 30 साल का कोई शख्स होम लोन लेता है तो माना जाता है कि अगले 30 साल या उससे पहले कर्ज का भुगतान कर लेगा। लेकिन ब्याज दरें बढ़ने से भुगतान की अवधि 30 की जगह 50 साल हो जाए तो क्या होगा? कोई बैंक इस बात की इजाजत नहीं देगा कि लोन चुकाने की अवधि रिटायरमेंट की उम्र के बाद जाए। बैंक तब कहने लगते हैं कि एकमुश्त बड़ी रकम चुकाएं। ईएमआई बढ़ा दें। लेकिन यह हर किसी के लिए मुमकिन नहीं।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स