अडाणी ग्रुप से ज्यादा शेयर बाजार में इन दिनों किसी की चर्चा नहीं होती। इसके शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज हुई, जिससे ढेरों निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में घाटा दिख रहा होगा। वैसे, हाल के दिनों में रिकवरी दिख रही है लेकिन भरोसा बहाल होने में समय लगेगा। कई निवेशकों से बात के बाद एक कॉमन बात सामने आई। उन्हें ये नहीं पता था कि अडाणी ग्रुप का असली बिजनेस क्या है, किस कमाई के बूते इसके शेयर तेजी से चढ़े।
जब स्टॉक मार्केट में निवेश का खुमार चढ़ता है तो हम अक्सर सिर्फ टिप्स की तलाश में होते हैं। मीडिया के अलग-अलग जरियों से हमें ये टिप्स मिल भी जाते हैं। लेकिन इन सलाह से जब कामयाबी नहीं मिलती तो हमारा अंदाज बदल जाता है। हम सबको समझाने लगते हैं कि स्टॉक मार्केट में निवेश मतलब पैसा डूबना तय है। अगर हमने पहले ही निवेश वाली कंपनियों के बारे में जानकारी हासिल कर ली होती तो ये अफसोस न होता। बाजार में निवेश का ये बुनियादी नियम है कि हम उस बिजनेस में पैसा न लगाएं, जिसके बिजनेस को समझते नहीं हैं।
मशहूर इन्वेस्टर वॉरेन बफेट ने भी कभी कहा था कि वह उस बिजनेस में पैसा नहीं लगाते, जिसे वो नहीं समझते। उन कंपनियों की कमी नहीं, जिनसे हमारा वास्ता रोज ब रोज पड़ता है। हम जिस कंपनी का वॉशिंग पाउडर बरसों से इस्तेमाल करते हैं, जिस कंपनी का टूथपेस्ट बरसों से इस्तेमाल करते हैं। उन कंपनियों के बारे में पता कर सकते हैं। पर्सनल फाइनैंस की दुनिया में एक मिसाल कई बार दी जाती है। कुछ स्कूली बच्चों और कुछ ‘बड़े जानकारों’ के बीच निवेश का मुकाबला कराया गया। बड़े जानकारों ने ज्यादा दिमाग लगाया, जबकि स्कूली बच्चों ने उन कंपनियों को चुना जिन्हें वे अपने इर्द-गिर्द देखते थे। बच्चों का फैसला सही पाया गया।
इसका एक नुकसान भी हो सकता है। जरूरी नहीं कि हम नई टेक्नॉलजी के बारे में करीब से जानें, लेकिन ये मुमकिन है कि तकनीक से जुड़ी कुछ कंपनियों में निवेश हमें बड़ा मुनाफा दे जाए। यह भी हो सकता है कि किसी कंपनी को हम बहुत करीब से जानते हों, लेकिन उसके शेयरों में निवेश घाटे का सौदा बन जाए। कुछ सोशल मीडिया कंपनियों में निवेश इसी तरह का साबित हुआ है।
बतौर नए निवेशक, हम उन कंपनियों पर फोकस कर सकते हैं, जिनका अपने सेक्टर में मोटे तौर पर एकाधिकार जैसी स्थिति हैं। यह बेबी मिल्क पाउडर तैयार करने वाली, पेंट तैयार करने वाली, कोयला खनन करने वाली, गैस सप्लाई करने वाली, टिकट बुकिंग करने वाली कंपनी हो सकती है। अगर बाजार में निवेश करते हुए लंबा वक्त बीत चुका है तो हमारे मौजूदा पोर्टफोलियो में कुछ निवेश उन कंपनियों का भी हो सकता है, जिन्हें हम समझते नहीं। लेकिन इसकी हद हो, एक सीमा तय कर देनी चाहिए।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स