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• Tue, 16 Apr 2024 3:19 pm IST


माया मिसकॉल की


डेली का डेढ़ GB डेटा फ्री है। कॉल पर बात भी अब अनलिमिटेड होती है। मगर मैं अपने गांव वालों का क्या करूं कि मिसकॉल न तो उनके मोबाइल से निकल पा रही है, ना लाइफ से। क्या मजाल कि कभी सीधे फोन कर लें। मारेंगे तो मिसकॉल ही मारेंगे। सुबह सोकर उठा तो देखा कि अनजान नंबर से पंद्रह मिसकॉल थी। इतना तो समझ में आ गया कि गांव से ही कोई था। लगता है कि गांववालों ने ऐसी टेलीपैथी साध रखी है कि उन्हें परली ओर वाले का भी हाल दिखाई देता है। उन्हें दिख जाता है कि परली ओर वाला बस फोन उठाने ही वाला है। फिर वे तुरंत फोन काट देते हैं। परली ओर मौजूद मैं या मेरे जैसा कोई शख्स इतनी ही देर में जाने क्या-क्या सोच डालता है! गांव से मिसकॉल! सब सही तो है? या फिर अब किसकी गैया पगहा तुड़ा ली? किसका खेत चर लिया गया? किसका मेड़ टूट गई? मुकदमा क्या है आखिर? या कोई और बड़ी अनहोनी तो नहीं हो गई।

मुसीबत महज मिसकॉल की ही नहीं है। नए सिम के साथ नई-नई स्कीमें भी मिलती हैं। हमारे बड़े भाई साहब पिंटू ने तो महीनों फोन रीचार्ज ही नहीं कराया। एक पर डेटा और कॉलिंग पैक खत्म हो तो सीधे दूसरा सिम खरीद लें। हर बार नए-नए नंबर से मिसकॉल आए। एक बार मैंने पूछा कि इतने ढेर सारे नंबर क्यों? बताने लगे, दो सौ का रीचार्ज या नब्बे का सिम। बताओ सस्ता क्या? सिम और रीचार्ज में आए इस फर्क का असर यह पड़ा कि अब हर बार नए-नए नंबर से मिसकॉल आती है। कोई सोचे तो सोचता ही रहे कि आखिर ये नंबर किसका है? पलटकर फोन करें या ना करें? जाने कौन हो? वो तो भला हो स्पैम कॉलिंग वालों का कि बेचारे मिसकॉल नहीं मारते, बल्कि तब तक घंटी बजाते रहते हैं, जब तक कि हम फोन ना उठा लें या काट ना दें। अगर वे भी मिसकॉल मारना शुरू कर देते तो न जाने क्या हाल होता।

डेढ़ GB डेटा फ्री होने के बाद मिसकॉल तो नहीं बदली, अलबत्ता कॉलिंग की विधि जरूर बदल गई। अब मिसकॉल सिर्फ फोन पर ही नहीं आती। अब वह विडियो कॉल की भी आती है और वट्सऐप जैसे कॉलिंग ऐप्स पर वॉइस कॉल की भी आती है। कल सुबह जब अनजान नंबर से सोलहवीं मिसकॉल आई, मैं समझ गया कि यह जरूर हमारे परम पूज्य रामस्वरूप काका होंगे। काका जी को तो जैसे मिसकॉल से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। जब भी फोन करते हैं, एक रिंग पूरी होने से पहले ही काट देते हैं। मैंने वापस फोन मिलाया। अंदाजा सही था। परली ओर से काका कह रहे थे, कुछ पता चला तुमको? मैंने कहा, मुझे कुछ भी पता नहीं चला। कहने लगे, फर्जी पत्रकार हो तुम! तुमको पता ही नहीं चला कि लालमुनि की पतोहू भाग गई? मुझे याद आया कि लालमुनि का फोन तो परसों ही आया था। बड़ी देर तक बचपन की बातें हुई थीं। अब समझ में आया कि उन्होंने सीधे फोन क्यों किया था और आदत के मुताबिक मिसकॉल क्यों नहीं दी।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स