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DevBhoomi Insider Desk
• Fri, 24 Feb 2023 1:32 pm IST


गर्मी अभी दूर है, फिर क्यों तप रही फरवरी


फरवरी खत्म होने में अभी देर है, मगर देश के कुछ हिस्सों में तापमान 40 डिग्री को छू रहा है। फरवरी का सुहाना मौसम कुछ सालों से बीती बात बन चुका है। जनवरी की ठंड के बाद अचानक गर्मी शुरू हो रही है। मैदान तो मैदान, पहाड़ भी अभी से गर्म होने लगे हैं। हालत यह है कि पहाड़ी फलों के पेड़ों में वक्त से पहले ही फूल आ गए हैं। 2022 के बाद लगातार 2023 में भी गर्मी का यही ट्रेंड दिख रहा है।

गर्म होती धरती
फरवरी के तीसरे हफ्ते में ही पश्चिमी हिमालय और उत्तर पश्चिमी मध्य भारत में तापमान तेजी से बढ़ा है। राजधानी दिल्ली सामान्य से 6 डिग्री अधिक गर्म है। गुजरात के भुज में तापमान 40 डिग्री पर पहुंच चुका है। राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी अधिकतम तापमान सामान्य से 5 से 7 डिग्री अधिक चल रहा है। जम्मू-कश्मीर, शिमला का भी यही हाल है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, देश में 16 फरवरी को खत्म हुए हफ्ते में औसत अधिकतम तापमान 27.52 डिग्री था। यह 1981-2010 के औसत से 0.39 डिग्री अधिक है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में इस साल 16 फरवरी को समाप्त होने वाला हफ्ता 1951 के बाद सबसे गर्म रहा। राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, ओडिशा और मिजोरम देश के 10 सबसे गर्म स्थानों में एक रहे। 1951 के बाद से 20 सबसे गर्म हफ्ते वाले राज्यों में पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड और तमिलनाडु शामिल हैं।

क्यों तपा देश

आमतौर पर उत्तरी भारत का मौसम वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से काफी प्रभावित होता है। सामान्य तौर पर फरवरी में छह वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आते हैं। इस बार ये आ तो रहे हैं लेकिन काफी कमजोर हैं। इसलिए न बारिश दे पा रहे हैं, न पहाड़ों पर बर्फबारी करवा पा रहे हैं। इनके बीच का अंतर भी काफी कम है। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के आने से उत्तरी भारत में ठंडी हवाओं का आना रुक जाता है। जब इनके बीच अंतर होता है तो उस दौरान ठंडी हवाएं आती हैं और मौसम ठंडा कर देती हैं। यह भी समझना होगा कि अब गर्मी बढ़ना सामान्य हो गया है। लगभग हर साल और हर महीना पहले वाले से थोड़ा अधिक गर्म हो रहा है।

पूर्वी प्रशांत महासागर में ला-नीना के बावजूद 2020 सबसे गर्म सालों में एक था। आमतौर पर ला-नीना के कारण तापमान में कमी आती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
इसकी वजह क्लाइमेट चेंज को माना जा रहा है। फिर मौसम में जो बदलाव आ रहे हैं वह एक-दो वर्षों की बात नहीं है। पिछले 20-25 सालों से वसंत ऋतु छोटी होती जा रही है। सर्दियों के बाद सीधे गर्मी शुरू हो जाती है।
तापमान के बढ़ने का असर यह देखने को मिल रहा है कि बारिश का पैटर्न बदल गया है। अरब सागर में तेज चक्रवातों की आवृत्ति बढ़ गई है। वहीं हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और महासागर गर्म हो रहे हैं। हिंद महासागर का जलस्तर बढ़ रहा है।
तापमान बढ़ने से सीजन तेजी से बदल रहा है, जिसकी वजह से जीव-जंतुओं को उसके अनुसार खुद को ढालने में दिक्कत हो रही है। इस वजह से कई जीव विलुप्त हो सकते हैं।
फिर फसलों पर भी इसका असर पड़ रहा है। जिस तरह से तापमान बढ़ रहा है, गेहूं उत्पादन कम होने की समस्या बढ़ रही है। गुठलीदार फलों के वृक्षों में फूल समय से पहले आ रहे हैं।
गलत शहरीकरण
भारतीय शहरों का स्वरूप पिछले कुछ दशकों में तेजी से बदला है। हरियाली में कमी आ रही है। विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं। इमारतों की संख्या और ऊंचाई बढ़ रही है। घरों में एसी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। पक्की सड़कों और फ्लाईओवर का विस्तार तेजी से हो रहा है। ऐसे में शहर को अब अर्बन हीट आइलैंड कहा जाने लगा है। अगर हवा की गति कम है, तो शहरों को अर्बन हीट आइलैंड बनते आसानी से देखा जा सकता है।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स