गूगल ने भारत में स्मार्टफोन के लिए अपने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम और गूगल प्ले स्टोर में कई बड़े बदलाव करने का एलान किया है। अमेरिकी कंपनी अल्फाबेट की यूनिट ने कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (CCI) के आदेश पर अमल की खातिर यह कदम उठाया है। इसके तहत गूगल ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEM) के लिए लाइसेंसिंग मॉडल लाएगी। यानी अब हैंडसेट कंपनियां फोन पर पहले से इंस्टॉल करने के लिए चुने हुए गूगल ऐप्स का लाइसेंस ले सकेंगी। अभी तक ये ऐप एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर पहले से ही इंस्टॉल्ड होते थे।
इन बदलावों के तहत भारतीय यूजर्स को जल्द ही अपनी पसंद का डिफॉल्ट सर्च इंजन चुनने का भी ऑप्शन मिलेगा। जब कोई यूजर नया एंड्रॉयड स्मार्टफोन या टैब्लेट सेटअप करेगा, तब स्क्रीन पर उससे सर्च इंजन चुनने के बारे में पूछा जाएगा। अमेरिकी कंपनी को CCI के आदेश की वजह से ये कदम उठाने पड़े हैं। CCI ने पिछले साल 20 अक्टूबर को गूगल पर करीब 1338 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। उसने इसके साथ गूगल को एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम से जुड़ी नीतियों में भी बदलाव करने का निर्देश दिया था।
इसके एक हफ्ते बाद कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया ने गूगल पर 934.44 करोड़ रुपये का एक और जुर्माना लगाया था। उसने कंपनी से तब गूगल प्ले स्टोर की बिलिंग पॉलिसीज में भी कई बदलाव करने को कहा था। CCI का मानना था कि गूगल मार्केट में अपने दबदबे का गलत फायदा उठा रही है।
कंपनी यूजर चॉइस बिलिंग सिस्टम में भी बदलाव कर रही है, जो सभी ऐप्स और गेम्स के लिए अगले महीने से लागू हो जाएगा। इससे जब कोई यूजर किसी ऐप का डिजिटल कंटेंट खरीदेगा तो उसे गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम के सिवा दूसरे बिलिंग सिस्टम को भी चुनने का ऑप्शन मिलेगा। CCI ने अक्टूबर में जो दो आदेश दिए थे, उन्हें चुनौती देने के लिए पिछले 20 दिसंबर यानी 60 दिनों तक का वक्त था। वहीं, इन्हें लागू करने के लिए कंपनी के पास 19 जनवरी तक की मियाद थी। जो 90 दिन की अवधि थी। दिसंबर में CCI के आदेश को चुनौती देने की डेडलाइन खत्म होने से ऐन पहले गूगल ने इसके खिलाफ नैशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) गई थी। लेकिन NCLAT ने CCI के फैसलों पर अंतरिम स्टे लगाने से मना कर दिया। साथ ही, उसने CCI की ओर से लगाई गई 1338 करोड़ रुपये का 10 पर्सेंट उसे डिपॉजिट करने का भी आदेश दिया था।
इसके बाद जनवरी में कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में NCLAT के CCI के आदेश पर स्टे ना लगाने के फैसले को चुनौती दी। लेकिन वहां से भी अमेरिकी कंपनी को राहत नहीं मिली। सिर्फ इतना हुआ कि उसने 19 जनवरी की डेडलाइन को बढ़ाकर 26 जनवरी कर दिया। गूगल ने CCI के दूसरे जुर्माने के आदेश को भी NCLAT में चैलेंज किया था, लेकिन इस पर भी उसे राहत नहीं मिली।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स