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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 31 Jan 2023 1:55 pm IST


व्यंग्यः भारत पर हमला


आज तोताराम बड़ी अजीब धज में था। सिर पर सफेद पट्टी बांधे। एक हाथ में प्लास्टिक की कोई ३००-४०० मिलीलीटर की एक बोतल और दूसरे हाथ में एक छोटा-सा चाकू। आते ही उसने हमारे सिर पर लपेटा हुआ काले रंग का मफ़लर उतार फेंका और बोला- यह सर्दी से डरकर कान ढंकने का समय नहीं है। सिर पर कफन बांध ले। देश पर मर मिटने की घड़ी आ गई है। और तेरा सब्जी काटने का चाकू कहाँ है? तू तैयार हो, तब तक मैं उस पर धार लगा देता हूँ।

हमने कहा- कुछ दिनों पहले एक गोडसेवादी वीर साध्वी ने देशप्रेम का ऐसा ही आह्वान किया था। कहा था कि और कुछ नहीं तो सब्जी काटने का चाकू ही धार तेज करके रखो। पता नहीं, कब जरूरत पड़ जाए।लेकिन इतना अंदाज नहीं था कि इतनी जल्दी कि वह मौका आ जाएगा। बता, किस हिन्दुत्व विरोधी मोहल्ले की तरफ कूच करना है?

बोला- अभी तो अंदर से नहीं, बाहर से खतरा पैदा हुआ है।

हमने कहा- किससे? चीन से? उसको तो कुछ दिनों पहले ही लाल आँखें और ५६ इंच का सीना दिखाया था। अभी तक झूला झूलने नहीं आया। सुना है, उसे तभी से डायरिया हो गया है। शौचालय के चक्कर लगाने से ही फुरसत नहीं मिल रही है।

बोला- चीन से नहीं?

हमने पूछा- तो क्या फिर पाकिस्तान से?

बोला- वह क्या खाकर हमला करेगा? उसके लोग तो अपने राजस्थान की सीमा पर आटा मांगते घूम रहे हैं। अबकी बार तो खतरा सात समंदर पार से है।

हमने पूछा- कौन है यह? अमरीका? लेकिन अमरीका तो नहीं हो सकता। वह तो अपना दोस्त है। अपन तो ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ का नारा देकर उसे जिताने भी गए थे।

बोला- अमरीका तो नहीं है लेकिन खबर का अमरीका से कुछ न कुछ लिंक तो जरूर लगता है। कोई हिडन बर्ग जैसा ही नाम है।

हमने कहा- जब ‘हिडन’ ही है तो कहाँ ढूंढें? क्या ऐसे ही कपड़ों से पहचानकर किसी को चाकू घोंप दें?

बोला- शायद ‘हिंडन’ हो सकता है।

हमने कहा- हिंडन है तो अपने दिल्ली, हरियाणा, यूपी के ही आसपास तो है। हिंडन नदी के इस या उस किनारे पर टहलता मिल जाएगा।

बोला- इसने कोई रिपोर्ट दी है जिससे किसी घोटाले की संभावना लग रही है।

हमने कहा- तो फिर यह काम ई डी वगैरह का है। वैसे भी आजतक हजारों करोड़ के घपले करके लोग भाग गए और अब विदेशों में ऐश कर रहे हैं।

बोला- लेकिन यह केवल रुपए-पैसे का मामला ही नहीं है। बताया जा रहा है कि यह रिपोर्ट भारत, भारत की संस्थाओं और भारत की अखंडता पर हमला है।

हमने कहा- किसी शेयर का घपला देश पर हमला नहीं हो सकता। यह हमला वैसा ही है जैसे बागेश्वर वाले बाबा अपने ढोंग की पोल खुलने पर अपने बचाव के लिए इसे ‘सनातन धर्म’ पर हमला बता रहा है। न ऐसे बाबा सनातन धर्म हैं और न ही घपले वाले लाला ‘भारत’ .

बोल- तो कोई बात नहीं।घोटालों घपलों के ऐसे संकट सहने की तो इस देश को आदत हो चुकी है। पहले भी तो कोई नीरव नीरवतापूर्वक खिसक लिए थे और कोई चौकसे समस्त चौकसियों के बावजूद चंपत हो गए थे। कोई बात नहीं, यह एक और सही।

हमने कहा- लेकिन इसने तो स्टेट बैंक से बहुत सा कर्जा ले रखा है। और अपना तो जो कुछ है वह स्टेट बैंक में ही है। सरकार इसका भी एन पी ए कर देगी तो हम भी ‘महाराष्ट्र पंजाब बैंक’ के बुजुर्ग ग्राहकों की तरह लाइन में आ जाएंगे।

बोला- एन पी ए क्या होता है?

हमने कहा- भूल गया? हाई स्कूल में नहीं पढ़ा था? डूबत खाते। बंदर बाँट नीतिनिर्धारकों और लाभार्थियों के बीच और भुगतें हम जैसे गरीब।

बोला- कमाल है, हम तो अगर फोन, बिजली, बीमा या पानी का बिल एक दिन भी लेट जमा कराएं तो दस-बीस रुपए का जुर्माना और इनका लाखों करोड़ डूबत खाते! मास्टर, क्यों न हम भी कोई ऐसा ही एन पी ए वाला कर्जा ले लें और हो जाएँ चंपत।

हमने कहा- यह सुविधा केवल कुछ मित्रों के लिए उपलब्ध है, सबके लिए नहीं।


सौजन्य से : नवभारत टाइम्स