Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 19 Jan 2023 1:17 pm IST


नेपाल में इतने ज्यादा क्यों हो रहे हैं प्‍लेन क्रैश


नेपाल में रविवार सुबह हुए ‘प्लेन क्रैश’ पर सरकार ने राष्ट्रीय शोक का एलान करते हुए सोमवार को छुट्टी की घोषणा की। मगर लगातार होती विमान दुर्घटनाओं से चिंतित नेपाली नागरिक इस ‘सरकारी छुट्टी’ के खिलाफ दिखे। नेपाली नागरिकों का कहना है कि सरकार छुट्टी न दे, पुराने विमान और हवाई क्षेत्र में व्याप्त खामियों की छुट्टी करे।

डेढ़ महीने में आएगी रिपोर्ट

रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हुआ यति एयर का विमान काठमांडू-पोखरा-काठमांडू से आना-जाना करने के बाद तीसरी बार पोखरा के लिए उड़ा था। सुबह 10:33 पर उड़े इस विमान को इसी महीने पोखरा में खुले इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर 10:52 पर लैंड करना था। पोखरा का मौसम अच्छा था। लैंड करने की अनुमति पाकर लैंडिंग के लिए ‘फाइनल एप्रोच’ करते वक्त 10:50 पर विमान से एटीसी का संपर्क टूट गया। फिर विमान एयरपोर्ट के पास में ही सेती नदी में पहाड़ों के बीच क्रैश हुआ मिला। अभी तक दुर्घटना के कारणों का पता नहीं चला है। सरकार ने इसकी जांच के लिए बनाई कमेटी को 45 दिन का वक्त दिया है, इसके बाद ही हादसे के कारणों का पता चलेगा।

8 महीने पहले 29 मई को पोखरा से जोमसोम जा रही तारा एयर का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और उसमें सवार सभी 22 लोगों की मौत हो गई थी। तारा एयर रविवार को पोखरा में दुर्घटनाग्रस्त हुए यति एयरलाइंस की ही दूसरी कंपनी है। उस घटना को लोग भूल भी नहीं पाए थे कि यति एयरलाइंस का दूसरा विमान भी क्रैश हो गया। नेपाली वर्ष 2079 के भीतर यह दूसरी दुर्घटना है तो यति एयर की स्थापना के 24 वर्षों में उसकी 11वीं है। दुर्घटनाग्रस्त विमान यूरोपियन एटीआर टर्बो जेट विमान कंपनी का बनाया हुआ था। नेपाल में आंतरिक उड़ान के लिए पिछले डेढ़ दशक से एटीआर विमान का प्रयोग ज्यादा रहा है। नेपाल में एटीआर की यह पहली दुर्घटना है।

साढ़े छह दशक की यात्रा

नेपाल में हवाई सेवा शुरू हुए साढ़े छह दशक हो चुके हैं। इस बीच एयरपोर्ट, निजी विमान कंपनी और विमानों की संख्या में अच्छी-खासी प्रगति हुई है। मगर साथ ही दुर्घटनाओं की संख्या भी ‘थ्री डिजिट’ पार कर चुकी है। 67 वर्षों के इतिहास में यहां छोटी-बड़ी मिलाकर 104 हवाई दुर्घटनाएं हुई हैं। इनमें से 60 दुर्घटना में अभी तक 900 लोग मारे जा चुके हैं। आंतरिक उड़ानों में अभी तक हुआ यह सबसे बड़ा हादसा है। रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान में 72 लोग सवार थे। 68 के शव मिल चुके हैं, 4 की खोज जारी है। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की सन 1992 में दो बड़ी दुर्घटनाएं हुई थीं। काठमांडू के पास पाकिस्तान एयरलाइंस की दुर्घटना में 167 और थाई एयरवेज दुर्घटना में 113 लोगों की मौत हुई थी।

भौगोलिक अवस्था को दोष

हिमालयी क्षेत्र होने के कारण नेपाल में हर जगह सड़क नहीं है। ऐसे में लोग हवाई यात्रा पसंद कर रहे हैं। लेकिन बढ़ती विमान दुर्घटनाओं के चलते लोगों को शक है कि विमानों के नियमित परीक्षण में ढिलाई, ट्रेंड स्टाफ की कमी, पायलट और इंजीनियरों की सेवा-सुविधा में कमी जैसे कारकों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। सरकारी नियमों का कड़ाई के साथ पालन न करते हुए विमान उड़ाने वाली कंपनियां खूब लापरवाही बरत रही हैं। नेपाल के सिविल एविएशन अथॉरिटी की एविएशन सेफ्टी रिपोर्ट- 2022 में हवाई दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण देश की भौगोलिक अवस्था को बताया है। गहरे बादल के भीतर गुम होकर पहाड़ों से टकराने की घटना सबसे ज्यादा देखी गई है।

2012 में काठमांडू से लुक्ला के लिए उड़ा सीता एयर का डोर्नियर विमान काठमांडू विमानस्थल के पास में ही क्रैश हो गया था। दुर्घटना का कारण चील से टकराना बताया गया। उसमें 19 लोग मारे गए थे। उस घटना के बाद दुनिया भर में नेपाल की उड़ान सुरक्षा को लेकर सवाल उठे। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ने नेपाल को ‘रेड लिस्ट’ में रखा। यूरोपियन यूनियन ने अपने यहां नेपाल की वायुसेवा पर प्रतिबंध लगा दिया। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन की रेड लिस्ट से नेपाल चार वर्षों में हट गया, लेकिन यूरोपियन यूनियन का प्रतिबंध नहीं हटा है। अब पोखरा में हुए हादसे के बाद नेपाल की हवाई यात्रा को लेकर एक बार फिर इंटरनैशनल लेवल पर सवाल उठेंगे।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स