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DevBhoomi Insider Desk
• Sat, 15 Oct 2022 2:03 pm IST


‘तुम दिल्ली में कहां रहती हो?’ नोएडा में...


यमुना बैंक स्टेशन से मेट्रो अब नोएडा की तरफ बढ़ रही है। अधिकतर यात्री अपने-अपने मोबाइल फोन में देख रहे हैं। अचानक दो सहेलियां मिल जाती हैं। एक सखी दूसरी से पूछती है, ‘तुम दिल्ली में कहां रहती हो?’ जवाब मिला, ‘नोएडा में।’ साफ है कि नोएडा अब राजधानी का लगभग हिस्सा बन चुका है। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से यह कमोबेश दिल्ली जैसा हो चुका है। नोएडा की आबादी का एक बड़ा हिस्सा दिल्लीवालों का है। गुजरे आठ-दस वर्षों में ढेरों दिल्लीवाले नोएडा शिफ्ट कर गए हैं। ईस्ट दिल्ली से तो अनगिनत लोगों ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में अपने आशियाने बना लिए हैं। अभी जब केंद्रीय आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय ने वर्ष 2022 के लिए देश के शहरों की स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की, तो उसमें नोएडा बेस्ट सेल्फ सस्टेनेबल सिटी की श्रेणी में पुरस्कार पाने वाले अकेला शहर रहा। उधर 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में गाजियाबाद को 12वां स्थान मिला।

माना जा रहा है कि अगले दो-ढाई सालों के बाद दिल्ली से नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद शिफ्ट करने वाले बढ़ेंगे, क्योंकि तब जेवर एयरपोर्ट चालू हो जाएगा। तब इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की तुलना में जेवर एयरपोर्ट से फ्लाइट लेना ज्यादा सुविधाजनक होगा। यही स्थिति उन नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में रहने या काम करने वाले सैकड़ों विदेशी नागरिकों, खासकर साउथ कोरियाई की भी होगी, जो लगातार हवाई सफर पर रहते हैं। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में दक्षिण कोरिया की सैमसंग, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, मोजरबेयर, यामाहा समेत अनेक कंपनियों के दफ्तर हैं। 2018 में साउथ कोरिया के राष्ट्रपति नोएडा में सैमसंग के दफ्तर के उदघाटन के लिए आए भी थे। दरअसल ईस्ट दिल्ली और यूपी की कम से कम आधा दर्जन जगहों पर सीमा मिलती है। कई जगहों पर पता ही नहीं चलता कि आप कब दिल्ली में और कब उत्तर प्रदेश में हैं।

लगभग सारा यमुनापार सन 1914 तक मेरठ जिले में था। ब्रिटिश सरकार ने देश की नई राजधानी की घोषणा की और मेरठ के 65 गांवों का 22 मई, 1914 को दिल्ली में विलय कर दिया। इन गांवों में शकरपुर, खिचड़ीपुर, चौहान बांगर, मंडावली, शाहदरा, ताहिरपुर, झिलमिल, जाफराबाद थे। इन्हीं पर आगे चलकर मयूर विहार, आईपी एक्सटेंशन और तमाम ‘विहार’ आबाद हुए। मगर अब दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद फिर से करीब आ रहे हैं, क्योंकि राजधानी वालों को उत्तर प्रदेश के शहरों में शिफ्ट करने में कोई दिक्कत नहीं होती। इन्हें वहां भी दिल्ली वाली सभी सुविधाएं मिल जाती हैं। हर रोज हजारों दिल्ली वाले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में नौकरी करने या पढ़ने के लिए जाते ही हैं। इसी तरह से सैकड़ों साउथ और ईस्ट दिल्ली वाले नोएडा, वैशाली, इंदिरापुरम वगैरह के किसी मॉल या पीवीआर में फिल्में देखने या शॉपिंग करने के लिए पहुंचते हैं। किसी ने ठीक ही कमेंट किया कि दिल्ली और नोएडा में अंतर पुलिसवालों के हुलिए से ही समझ आता है। बाकी तो अब दोनों एक से हो गए हैं।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स