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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 17 Apr 2023 1:27 pm IST


पेंटागन लीकः एक लीक, कई सवाल


हाल ही में अमेरिका में कई गोपनीय मिलिट्री दस्तावेज लीक हो गए, जिससे बाइडन सरकार और उसके कई सहयोगी देशों को शर्मिंदगी उठानी पड़ी। इनमें यूक्रेन युद्ध को लेकर कुछ ऐसी बातें हैं, जिनसे पश्चिमी देशों का अब तक किया गया दावा गलत लगता है। जैसे, अभी तक पश्चिमी मीडिया यह दावा करता आया है कि इस युद्ध में यूक्रेन की तुलना में अधिक मौतें रूसी सैनिकों की हुई हैं। लेकिन दस्तावेज में इस बात को गलत बताया गया है। दिलचस्प बात यह भी है कि इनके लीक होने का पता अमेरिकी सरकार को 6 अप्रैल को लगा, जिस दिन वहां के एक अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस बारे में खबर छापी, जबकि ऑनलाइन फोरम में पिछले साल के आखिर से ही ये दस्तावेज सर्कुलेट हो रहे थे। इसलिए अमेरिका के खुफिया तंत्र की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं। वैसे, इन अमेरिकी एजेंसियों का कहना है कि वे अपने नागरिकों की जासूसी नहीं करतीं, इसलिए इस लीक का उन्हें पता नहीं लग पाया। यूं FBI कुछ मामलों में अपने नागरिकों की जासूसी करता है, लेकिन तभी, जब बात हिंसा की हो रही हो। मिलिट्री दस्तावेज लीक होने के मामले में कोई हिंसा की बात नहीं हो रही थी, इसलिए उसकी नजरों से भी यह मामला छिपा रहा।

मजेदार बात यह भी है कि लंबे वक्त तक अमेरिकी एडमिनिस्ट्रेशन इस बात से बेखबर रहा कि यह लीक किसने किया और कहां से हुआ? अमेरिका ने आधिकारिक रूप से अभी तक इस पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन वहां के अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने दावा किया है कि इन दस्तावेजों को फौज में काम करने वाले एक शख्स ने लीक किया, जो एक मिलिट्री बेस पर तैनात है। अखबार का दावा है कि इन्हें डिस्कॉर्ड नाम के सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर एक फोरम में पोस्ट किया गया था। यह प्लैटफॉर्म वीडियो गेम खेलने वालों के बीच लोकप्रिय है। बाद में इन्हें टेलिग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर भी डाला गया। खैर, वॉशिंगटन पोस्ट ने यह दावा भी किया है कि उसे लीक करने वाले की पहचान का पता उसके दोस्त से चला। अमेरिकी अखबार के मुताबिक, ‘दोस्त ने बताया कि जिसने ये दस्तावेज लीक किए हैं, वह एक मिलिट्री बेस पर काम कर रहा है। वह बेस से इन्हें अपने घर लेकर आया था। लेकिन दोस्त ने लीक करने वाले का नाम नहीं बताया। न ही यह जानकारी दी है कि वह अभी कहां है।’

अमेरिका पहले भी गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने से शर्मिंदगी उठा चुका है। ऐसा पिछला बड़ा मामला एडवर्ड स्नोडेन से जुड़ा था, जिन्हें अमेरिका तलाश रहा है। स्नोडेन के बारे में कहा जाता है कि उन्हें रूस ने पनाह दे रखी है। फिर 2010 में जूलियन असांज ने दुनिया भर के अखबारों के साथ मिलकर अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों के गोपनीय दस्तावेज लीक किए थे। इस मामले में अमेरिका असांज को सजा दिलाने के लिए उनके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा है। ये तो हुई लीक की बात, लेकिन अमेरिकी खुफिया तंत्र की सबसे बड़ी नाकामी इराक के पास जनसंहार के हथियार होने का दावा था। इस गलत सूचना की वजह से अमेरिका ने इराक पर हमला कर उसे तबाह कर दिया, जिससे पश्चिम एशिया का यह देश अभी तक नहीं उबर पाया है।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स