इस वक्त फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिल रहे रिटर्न से कई लोग संतुष्ट हो सकते हैं। 9 पर्सेंट तक का इंटरेस्ट रेट मिल रहा है। लेकिन बार-बार कहा जा रहा है कि ये समय टिकने वाला नहीं है। कई वित्तीय एजेंसियां कह रही हैं कि इस साल ब्याज दर में आधा पर्सेंट की कमी हो सकती है। तो क्या आम आदमी को अभी के रेट पर लंबे समय के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट बुक कर लेना चाहिए?
हमारे पोर्टफोलियो में फिक्स्ड डिपॉजिट का रोल क्या है, पहले ये जानना बेहद जरूरी है। इसे तुरंत भुनाने की सुविधा इसकी जान है। लेकिन ये स्ट्रैटिजी भी ठीक नहीं समझी जाती है कि कोई अपनी पूरी सेविंग को सिर्फ फिक्स्ड डिपॉजिट में ही इन्वेस्ट करे। दूसरे असेट क्लास पर भी नजर डाली जा सकती है। ये बॉण्ड हो सकते हैं, जिन्हें म्यूचुअल फंडों या रिजर्व बैंक के जरिये सीधे खरीदा जा सकता है। फिक्स्ड डिपॉजिट में हमारे पास तीन विकल्प हैं। बड़े बैंकों से सबसे कम रिटर्न मिल रहा है। नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों और स्मॉल फाइनैंस बैंक इनसे ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं। बड़ी नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियां ऑनलाइन एफडी की सुविधा दे रही है, लेकिन स्मॉल फाइनैंस बैंकों के साथ ये नहीं है। मुश्किल ये है कि नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों में जमा का कोई बीमा नहीं है। इसके मुकाबले बैंकों में हर खाते पर एक खाताधारक को पांच लाख रुपये तक के जमा का बीमा दिया जाता है। कुछ बैंक फ्लोटिंग रेट फिक्स्ड डिपॉजिट की सुविधा दे रहे हैं। इसमें रिजर्व बैंक के फैसलों के मुताबिक ब्याज दरों में बदलाव होता रहेगा। लेकिन जब इंटरेस्ट रेट में कमी के आसार बताए जा रहे हों, फ्लोटिंग रेट एफडी में लंबे समय के लिए पैसा लॉक नहीं किया जा सकता। जो फिक्स्ड डिपॉजिट भी हम करते हैं, अक्सर पसंद ये होती है कि सारा पैसा एक साथ, एक बैंक में जमा किया जाए। लेकिन इससे दिक्कत ये होगी कि जिस दिन पूरा फिक्स्ड डिपॉजिट मच्योर होगा, उस समय अगर इंटरेस्ट रेट काफी कम चल रहे हों तो हम कम रिटर्न पाने के लिए मजबूर होंगे। बेहतर ये होगा कि फिक्स्ड डिपॉजिट अलग-अलग अवधि के लिए हो। मसलन पांच लाख रुपये जमा करने हों तो एक-एक लाख रुपये के पांच फिक्स्ड डिपॉजिट करें, जो एक साल से पांच साल तक की अवधि के लिए हों। इससे ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव का औसत फर्क पड़ेगा।
एक और तरीका ये है कि स्वीप-इन फिक्स्ड डिपॉजिट किया जाए। इसमें सेविंग अकाउंट में एक लिमिट से ज्यादा पैसा हो जाए तो एक्स्ट्रा पैसा ऑटोमैटिक तरीके से फिक्स्ड डिपॉजिट में बदल जाता है। मसलन, बचत खाते में 25 हजार रुपये से जब भी ज्यादा पैसा होगा, वह फिक्स्ड डिपॉजिट में बदल जाएगा। एफडी पर रिवर्स स्वीप इन की सुविधा भी ली जा सकती है। इसमें बचत खाते में पैसा कम हो तो जितने पैसे की जरूरत हो, एफडी का उतना ही हिस्सा ब्रेक किया जा सकता है।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स