उच्चतम न्यायालय ने एक असामान्य कदम के तहत बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के न्यायिक सदस्य राकेश कुमार और तकनीकी सदस्य आलोक श्रीवास्तव को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा कि फिनोलेक्स केबल्स विवाद मामले में शीर्ष अदालत के आदेश की अवहेलना के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनसीएलएटी पीठ की ओर से एक निर्णय पारित किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। शीर्ष अदालत ने फिनोलेक्स केबल्स की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) से संबंधित एनसीएलएटी पीठ के 13 अक्टूबर के फैसले को इसके गुण-दोष पर विचार किए बिना निरस्त कर दिया।
इसने कहा कि मामले की सुनवाई एनसीएलएटी प्रमुख न्यायमूर्ति अशोक भूषण करेंगे। न्यायालय ने कहा, ‘‘एनसीएलएटी अब सड़न की स्थिति में आ गया है। यह मामला उस सड़न का उदाहरण है। हमारा प्रथम दृष्टया मानना है कि एनसीएलएटी के सदस्य सही तथ्यों का खुलासा करने में विफल रहे हैं।’’