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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 27 Jun 2022 6:15 pm IST


12 KG का सोने का एक सिक्का! निजाम काल के इस कॉइन को खोजने में चार दशक बाद फिर जुटा भारत


आपने 10 ग्राम, 20 ग्राम, 50 ग्राम के सोने के सिक्के (Gold Coin) देखे होंगे, लेकिन क्या आपको दुनिया के सबसे बड़े सोने के सिक्के (Biggest Gold Coin) का वजन मालूम है? दुनिया के सबसे बड़े सोने के सिक्के का वजन करीब 12 किलोग्राम है और मजेदार बात है कि इसकी ढलाई भारत में ही हुई थी. आज के समय में भले ही यह सिक्का गायब हो गया है, लेकिन सदियों तक यह भारत के राजाओं-नवाबों की तिजोरी की शान बढ़ाता रहा है. अब केंद्र सरकार ने फिर से इस सिक्के की नए सिरे से तलाश शुरू की है.


मुकर्रम जाह ने की थी बेचने की कोशिश

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, केंद्र सरकार ने करीब 4 दशक पहले भी सोने के इस सिक्के की तलाश शुरू की थी. हालांकि सीबीआई (CBI) को तब इसे खोज पाने में सफलता नहीं मिल पाई थी. इसे अंतिम बार हैदराबाद के शाही परिवार के टाइटलर निजाम VIII मुकर्रम जाह (Titular Nizam VIII of Hyderabad Mukarram Jah) के पास देखा गया था, जिसने कथित तौर पर एक स्विस बैंक (Swiss Bank) में इसे नीलाम करने का प्रयास किया था. जाह को यह सिक्का अंतिम निजाम और अपने दादा मीर उस्मान अली खान (Last Nizam Mir Osman Ali Khan) से विरासत में मिला था. हालांकि उस कथित नीलामी के समय सीबीआई ने इसे लोकेट करने का प्रयास किया था, पर सफलता नहीं मिल पाई थी.


जहांगीर ने ढलवाए थे दो विशाल सिक्के

बताया जाता है कि इस सिक्के की ढलाई बादशाह जहांगीर (Jahangir) ने कराई थी. खबर में इतिहासकार एवं एचके शेरवानी सेंटर फॉर डेक्कन स्टडीज की प्रोफेसर सलमा अहमद फारूकी के हवाले से बताया गया है कि इसे 1987 में जेनेवा में नीलाम करने का प्रयास किया गया था. यूरोप में मौजूद भारतीय अधिकारियों ने कथित नीलामी की खबर सरकार को दी. इसे साल 1987 में जेनेवा के होटल मोगा में 09 नवंबर को नीलाम किए जाने की सूचना थी. हैब्सबर्ग फेल्डमैन एसए (Habsberg Feldman SA) इस सिक्के को पेरिस स्थित इंडोस्वेज बैंक (Indosuez Bank) की जेनेवा शाखा की मदद से नीलाम करने का प्रयास कर रहा था. सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथों में लिया. जांच शुरू हुई और काफी जानकारियां सामने भी आई, लेकिन सिक्के का पता नहीं चल पाया.

सीबीआई जांच में नहीं मिली थी सफलता

उन्होंने कहा कि सीबीआई के अधिकारियों ने इतिहासकारों का काम किया. उस जांच में शामिल रहे कई सीबीआई अधिकारी अब रिटायर हो चुके हैं, इस कारण जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई. सीबीआई के पूर्व ज्वाइंट डाइरेक्टर शांतनु सेन (Shantanu Sen) ने भी इस सिक्के का जिक्र अपनी किताब में किया है. उन्होंने बताया कि बादशाह जहांगीर ने ऐसे दो सिक्के ढलवाए थे. एक सिक्का ईरान के शाह के राजदूत यादगार अली (Yadgar Ali) को दिया गया था और दूसरा सिक्का हैदराबाद के निजाम के पास आ गया था.